Saturday, 18 April 2009

मेडिकल कालेज शुल्क का ढांचा तय

उत्तराखंड में संचालित मेडिकल व डेंटल कालेजों के लिए शुल्क का पुनर्निधारण कर दिया गया है। इसमें कुछ संस्थानों में शुल्क यथावत रखा गया है, जबकि कुछ में कमी की गई है। एक संस्थान को बैलेंस सीट समेत अन्य अभिलेख प्रस्तुत न करने पर नोटिस भेजने का निर्णय लिया गया है। यही नहीं, सभी पैरामेडिकल संस्थानों को फीस निर्धारण के बारे में जरूरी अभिलेख प्रस्तुत करने के लिए भी कहा जाएगा। सरकार ने मेडिकल व डेंटल कालेजों में शुल्क के पुनर्निर्धारण के लिए शुल्क ढांचा समिति गठित की थी। समिति की बैठक में इसका पुनर्निर्धारण कर दिया गया। श्री गुरु राम राय मेडिकल कालेज देहरादून की ओर से मैनेजमेंट कोटे में 3.75 लाख व सरकारी कोटे में 2.50 लाख फीस तय करने का अनुरोध किया था। समिति ने मैनेजमेंट कोटे की फीस 3.75 लाख ही रखी है, लेकिन सरकारी कोटे की फीस 2.20 लाख निर्धारित की है। यह भी निर्देश दिए गए कि आवास, मेस, लाइब्रेरी आदि शुल्क के लिए ऊपरी सीमा 30 हजार रुपये है। इसके अतिरिक्त किसी भी रूप में शुल्क को अवैधानिक माना जाएगा। समिति ने सीमा डेंटल कालेज ऋषिकेश के वेतन मद के खर्चाें में उछाल को देखते हुए अगले एक वर्ष के लिए 1.95 लाख फीस निर्धारित की है। उत्तरांचल डेंटल कालेज देहरादून की बैलेंस सीट व वित्तीय स्थिति के दृष्टिगत इसकी फीस अगले तीन साल के लिए 1.85 लाख तय की गई। उत्तरांचल आयुर्वेदिक कालेज राजपुर रोड देहरादून के फीस बढ़ाने के औचित्य को बैलेंस सीट के आधार पर नकार दिया गया। वहां पूर्व निर्धारित 80,500 और छात्रवास शुल्क 18,000 प्रतिवर्ष यथावत रखा गया है। नारायण स्वामी डेंटल कालेज प्रेमनगर देहरादून के संबंध में बताया गया कि इस संस्थान से शुल्क ढांचा समिति के सम्मुख न तो कोई अभिलेख प्रस्तुत किए जाते हैं और न उसका कोई प्रतिनिधि बैठक में भाग लेता है। समिति के संज्ञान में यह भी तथ्य आया है कि यह संस्थान निर्धारित से अधिक शुल्क वसूल रहा है। समिति ने संस्थान की फीस पूर्व की भांति 1.10 लाख यथावत रखी है और उसे एक माह के भीतर बैलेंस सीट आदि प्रस्तुत करने को कहा है। ऐसा न करने पर उसकी पूर्व निर्धारित फीस को अगले तीन साल के लिए रख दिया जाएगा। इस सिलसिले में संस्थान को नोटिस भेजने का निर्णय लिया गया। समिति ने सभी पैरामेडिकल कालेजों को यह नोटिस जारी करने का निर्णय लिया है कि वे फीस निर्धारण के बारे में समिति के सम्मुख आवश्यक अभिलेख प्रस्तुत करें। कुछ मामलों में छात्रों को बैंक से ऋण प्राप्त करने में विलंब की वजह से फीस जमा करने में देरी हो रही है। ऐसे में लेटफीस का कोई मामला नहीं बनता।

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