Tuesday, 28 April 2009

मां गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के कपाट खुले

देव डोलियों की मौजूदगी से माहौल बना भ1ितमय पहले ही दिन दोनों धामों में पहुंचे हजारों श्रद्धालु उतरकाशी। विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री तीर्थधाम के कपाट अक्षय तृतीया के अवसर पर वैदिक अनुष्ठान के साथ श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। सोमवार को पहले ही दिन दोनों धामों में देश-विदेश से बड़ी सं2या में श्रद्धालु पहुंचे। यमुनोत्री में यमुना के भाई शनि देव की डोली तथा गंगोत्री में सेकेंड राजपूत के बैंड की धुन और बार्सू, गणेशपुर एवं बाड़ागड्डी के देवी-देवताओं की डोलियों की मौजूदगी ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। इस दौरान यहां'जय मां गंगे' और 'जय मां यमुना' के जयकारे गूंजते रहे। यमुना के मायके खरसाली से प्रात: साढ़़े आठ बजे यमुना जी की डोली उनके भाई शनिदेव की डोली के साथ यमुनोत्री के लिए रवाना हुई। ११ बजे यमुनोत्री पहुंचकर मूर्ति के स्नान और श्रृंगार के बाद गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा कर मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गए। इस मौके पर मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया। यमुनोत्री विधायक केदार सिंह रावत सहित करीब तीन हजार श्रद्धालुओं ने पहले ही दिन मां युमना के दर्शन किए। शनि महाराज की डोली यमुना को विदा करने के बाद वापस खरसाली लौट आई। जानकीचट्टी के निकट स्थित राम मंदिर में यात्रियों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई थी। इधर, बीते रोज मुखबा से भैरोंघाटी पहुंची गंगा जी की डोली यात्रा के गंगोत्री पहुंचने पर दोपहर साढ़े बारह बजे मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। सेना की द्वितीय राजपूत रेजीमेंट ने बीते सालों की भांति इस बार भी यात्रियों के लिए लंगर की व्यवस्था की। इस बार पहले ही दिन पांच हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने गंगोत्री पहुंचकर दर्शन किए। चार धामों में से दो अन्य धाम केदारनाथ मंदिर के कपाट तीस अप्रैल और बदरीनाथ धाम के कपाट एक मई को खुलेंगे।

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