Saturday, 25 April 2009

उक्रांद: जारी है सियासी ड्रामा

देहरादून का उत्साह स्वभाविक था या फिर रुद्रपुर में किया गया हंगामा एक हफ्ते पहले दिवाकर भटट के मंत्री पद से इस्तीफे की खबर मिलते ही उक्रांद कार्यकर्ताओं के चेहरों पर मुस्कान लौट आई थी। नारे गूंजे 'उक्रांद अभी जिंदा है'। इसके ठीक विपरीत रुद्रपुर में कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा वापस लेने की मांग पर घेराव कर दिया। अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि इनमें से कौन सी प्रतिक्रिया दल के अनुकूल है। खास बात यह है कि इस मुद्दे पर नेताओं में भी एक राय नहीं है। भाजपा सरकार से समर्थन वापसी उक्रांद के लिए यक्ष प्रश्न बन गया है। यह सवाल तो समर्थन देने के साथ ही उठना शुरू हो गया था। इस लोकसभा चुनाव में समझाौते पर उक्रांद को दरकिनार करने के भाजपाई स्टैंड के बाद यह और तीखा हो उठा। इसी बीच दिवाकर भट्ट ने अचानक ही पार्टी के केंद्रीय कार्यालय पहुंच कर अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी। इस पर वहां मौजूद कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया देखने लायक थी। उत्साहित कार्यकर्ताओं ने नारा दिया 'उक्रांद अभी जिंदा है'। रुद्रपुर में कार्यकर्ताओं का रुख इसके ठीक विपरीत दिखाई दिया। उक्रांद अध्यक्ष डा.नारायण सिंह जंतवाल ने नामांकन के बाद समर्थन वापसी के सवाल पर दल के पदाधिकारियों के साथ गुफ्तगू शुरू की। इसी बीच मौजूद कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा वापस लो के नारे लगाने शुरू कर दिए। दबाव बनाने के लिए दिवाकर का घेराव भी किया। अब सवाल उठ रहा है कि वास्तव में उक्रांद का प्रतिनिधित्व केंद्रीय कार्यालय में हुई प्रतिक्रिया करती है या फिर रुद्रपुर की। समर्थन वापसी के मुद्दे पर जनवरी में देहरादून में हुए महाधिवेशन की अनुगूंज तो मुख्यालय से मिलती जुलती थी पर इस्तीफे की वापसी पर आई यह प्रतिक्रिया एक नया सवाल उठा रही है। खास बात यह भी है कि उक्रांद नेताओं की आफ द रिकार्ड बातें भी आपस में एक राय नहीं बनाती और कोई नेता इस मुद्दे खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। -------- बोलने ही नहीं दिया: भट्ट देहरादून: काबीना मंत्री दिवाकर भट््ट कहते हैं कि दून में हुए महाधिवेशन में उन कार्यकर्ताओं को बोलने ही नहीं दिया गया, जो समर्थन के पक्षधर थे। रुद्रपुर की प्रतिक्रिया इसका प्रमाण है। उनका कहना है कि वे अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को दे चुके हैैं। अब उन्हें निर्णय लेना है। साथ ही उक्रांद को कई और सवालों पर भी सोचना होगा। समर्थन वापसी के बाद सरकार की अस्थिरता के असर से उक्रांद भी नहीं बच सकता। ------- उचित नहीं पद स्वीकारना: ऐरी देहरादून: वरिष्ठ नेता काशी सिंह ऐरी का कहना है कि उक्रांद के आम कार्यकर्ता का मन है कि अब सरकार में कोई पद स्वीकार करना दल की प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं होगा। इसी का सम्मान करते हुए वे अपने दायित्व से इस्तीफा दे चुके हैैं।

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