Tuesday, 21 April 2009

मां पूर्णागिरि धाम के अस्तित्व पर संकट के बादल

= भूगर्भ वैज्ञानिकों ने दिए संकेत = सुरक्षा को लेकर शासन प्रशासन गंभीर = फरवरी में आ गई थी मुख्य मंदिर में दरार

,टनकपुर: देश के सुविख्यात मां पूर्णागिरि धाम के नीचे चट्टान में आई दरार से धाम के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। भू-गर्भ वैज्ञानिकों ने मंदिर व इसके आसपास अधिक दबाव पढऩे से खतरे के संकेत दिए हैं। शासन-प्रशासन चट्टान में आई दरार को पाटने के लिए खासा गंभीर नजर आ रहा है। चम्पावत जिले के मैदानी क्षेत्र टनकपुर से 21 किमी दूर मां पूर्णागिरि का धाम है। इस धाम में प्रतिवर्ष पचास लाख से भी अधिक श्रद्धालु शीश नवाने आते है। पिछले कुछ समय से मुख्य मंदिर के ठीक नीचे चट्टान में दरार आने से मंदिर को खतरा पैदा हो गया है। जिससे श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर सवालिया निशान लग रहे हैं। पर्यटन मंत्री प्रकाश पंत के निर्देश पर चट्टान में आई दरार की वजह को तलाशने के लिए इसी वर्ष 25 फरवरी को आईआईटी रूड़की से आए भूगर्भीय वैज्ञानिक एनब्लादन ने मुख्यमंदिर की पहाड़ी में आई दरार का सर्वे किया था। प्रशासन को सौंपी रिपोर्ट में उन्होंने मंदिर व उसके आसपास अधिक दबाव बढऩे पर खतरे के संकेत दिए। वहीं मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे के निर्देश पर पिछले माह 28 मार्च को देहरादून से आए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अधीक्षण अभियंता नरेन्द्र सिंह, भूवैज्ञानिक मणिकणिका मिश्रा व लोक निर्माण विभाग के ईई विजय कुमार ने भी चट्टान में आई दरार का सर्वे किया था। इस टीम ने भी स्वीकारा कि चट्टान में अधिक भार देने से कभी भी खतरा पैदा हो सकता है। इन रिपोर्टों को गंभीरता से लेते हुए चम्पावत के जिलाधिकारी अवनेन्द्र नयाल ने पूर्णागिरि मेला शुरू होने से पूर्व में विभिन्न विभागों के अधिकारियों और धाम के पुजारियों की बैठक में स्पष्ट किया था कि मेले में भीड़भाड़ को देखते हुए मुख्य मंदिर से पचास मीटर नीचे बैरियर लगाकर एक बार में पांच से दस तीर्थ यात्रियों को ही दर्शन के लिए आने दिया जाएगा। वे तीर्थयात्री मंदिर के दर्शन पंाच फिट दूर से ही कर पाएंगे, लेकिन श्रद्धालुओं की लगातार भीड़भाड़ को देखते हुए इस आदेश का पालन मुख्य मंदिर में नही दिखाई दे रहा है। पूर्णागिरि मेले का संचालन करने वाले जिला पंचायत ने इस बार मेले की अवधि बारह मार्च से छह जून तक निर्धारित की है। इन दिनों देश के कोने से श्रद्घालु हर रोज मां पूर्णागिरि धाम के दर्शन को पहुंच रहे है। धाम पर दबाव पढऩे से खतरा बना हुआ है। मुख्य मंदिर के नीचे आने जाने वाली सीढिय़ों के संकरी होने से तथा नीचे गहरी खाई होने के कारण भगदड़ मचने की स्थिति में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। डीएम श्री नयाल का कहना है कि बीते ढाई वर्षों से चट्टान में दरार का मामला प्रकाश में आया है। शासन व पर्यटन विभाग मंदिर के नीचे आई दरार को जोडऩे के लिए विशेष कार्य योजना बना रही हैं। उन्होंने कहा कि अगले मई माह से विशेषज्ञों की निगरानी में चट्टान में आई दरार को पाटने का काम शुरू किया जाएगा। डीएम ने कहा कि श्रद्घालुओं को धाम में सुव्यवस्थित तरीके से दर्शन कराए जा रहे है। जिससे चट्टान पर दबाव न पड़े। भूगर्भ वैज्ञानिक एनब्लादन कहते हैं कि चट्टान में दरार किन कारणों से आई है इसका अध्ययन किया जा रहा है और शीघ्र ही इसका खुलासा कर दिया जाएगा। अलबत्ता धाम के पुजारियों ने भी दरार को शीघ्र पाटने की मांग शासन प्रशासन से की है।

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