Monday 6 April 2009

ढोल को सम्मान मिलने लगा है।

जुनून है पहाड़ की लोककलाओं को देश-विदेश में एक अलग सम्मान मिले

गढ़वाल विश्वविद्यालय में अंगरेजी साहित्य प्रोफेसर अंगरेजी साहित्य के प्रो. दाताराम पुरोहित लोककलाओं पर शोध में ऐसे खोए कि ढोल गले में डाल लिया। आज पहाड़ के तमाम लोकवाद्य उनसे बातें हैं और वह उन बातों को देश दुनिया को सुनाना चाहते हैं। पहाड़ के मेले, उत्सवों को वे नन्हें बच्चे के भोले कौतुक के साथ देखते हैं और दिखाना चाहते हैं। चाहते हैँ कि यहां नए नए प्रयोग हों। 1000 ही क्यों, अपने ढोल से और ताल निकलें। जब किसी एक कलाकार की मौत होती है ये शख्स बहुत टूटता है, क्योंकि वह उसकी कीमत जानता है। .......ढोल को देश व विदेश में एक अलग पहचान दिलाने वाले प्रो. दाताराम पुरोहित से हुई सीधी बात शीघ्र ही पहाड़ 1 पर -

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