Saturday 11 April 2009

अब 'पिरुल' देगा रोजगारचीड़ की पत्तियां का वन विभाग ने तलाशा बेहतर इस्तेमाल

पिरुल (चीड़ की पत्तियां) अब संकट का सबब नहीं, रोजगार का जरिया बनेंगी। वनाग्नि के लिए खास तौर पर जि6मेदार पिरुल का बेहतर इस्तेमाल तलाश लिया गया है। इस कड़ी में प्राइवेट फर्मों के लिए जंगल के दरवाजे खुल रहे हैं। पिरुल उन्हें व्यावसायिक उपयोग के लिए मिल पाएगा। मगर शर्त यह होगी कि इसे जमा करने का काम स्थानीय बेरोजगार ही करेंगे। इससे आग लगने की घटनाएं कम होंगी। साथ ही, स्थानीय बेरोजगारों के हाथों को काम मिल पाएगा।कंट्रोल बर्निंग के तहत विभाग अमूमन पिरुल को जला देता है। ग्रामीण अपने मवेशियों के लिए बिछौने के रूप में भी इसका इस्तेमाल करते हैं। फिर भी काफी मात्रा में पिरुल जंगलों में पड़ा रह जाता है।कुछ समय पहले विभाग ने प्राइवेट फर्मों से बात की, तो पता चला कि दवा और ईंधन निर्माण से लेकर फर्नीचर तक में इसका इस्तेमाल हो सकता है। इस पर विभाग ने प्रस्ताव मांगे, तो २२ फर्मों ने आवेदन किया। इनमें से पांच प्रस्ताव छांटे गए हैं, अब इन पर अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है। प्रमुख वन संरक्षक डा. आरबीएस रावत के अनुसार चिक्षित फर्म के साथ एमओयू किया जाएगा। इसके दो फायदे होंगे, एक तो पिरुल हटने से आग की घटनाएं रुकेंगी। दूसरे यहां के बेरोजगारों को काम मिलेगा।

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