Thursday, 30 April 2009
टिहरी का दर्द अभी खत्म नहीं हुआ।
-जेपी पर 11 करोड़ व थापर पर 7 लाख का जुर्माना
-सूचना आयोग-शासन का तर्क खारिज
वीर चक्र विजेता का अधूरा रहा सपना
Wednesday, 29 April 2009
पैरामेडिकल तकनीकी पदों पर साक्षात्कार 2 से
बादशाही थौल परिसर को विवि के दर्जे की तैयारी!
कठिन यात्रा है रुद्रनाथ की
हर की दून फूलों की घाटी यह भी
चलो गंगाधाम
बलिया नाला: 22 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार
कांग्रेस को सपा का अघोषित समर्थन
अभागे 111 गांव, 20 साल में भी नहीं बदली तकदीर
-उद्यान घोटाला: एक्शन को हरी झांडी
-अतिथियों का सत्कार उत्तराखंड की परंपरा : कपूर
टिहरी बांध: 45 और गांव होंगे विस्थापित
Tuesday, 28 April 2009
मां गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के कपाट खुले
पहाड़ में बढ़ा मेडिकल का क्रेज
Monday, 27 April 2009
-आज खुलेंगे गंगोत्री यमुनोत्री के कपाट
सड़क: एडीबी से मिले दो सौ मिलियन डालर
कैलास-मानसरोवर: चुड़कानी व बड़े का रहेगा बोलबाला
--अब सुरंग से जाएंगी गाडिय़ां
-होम थियेटर में दिखेंगे मेले और उत्सव
-केदारनाथ धाम के कपाट 30 को खुलेंगे
जूता संस्कृति ... " बहस "
Saturday, 25 April 2009
घर में ही फंसे क्षत्रप
राजधानी रिपोर्ट: नहीं मिलेगा एकतरफा स्टे
यमुनोत्री: यात्रियों के साथ अन्य का भी होगा बीमा
उक्रांद: जारी है सियासी ड्रामा
क्या लाशों का पानी पीते रहेंगे हम
विकास होंगे भगत के राजनीतिक उत्तराधिकारी
म्युचुअल ट्रांसफ र मामले में कोर्ट का स्थगनादेशदेहरादून,
Friday, 24 April 2009
जैसे ही , इल्कशन की हुई घोषणा -
जैसे ही , इल्कशन की हुई घोषणा उमिद्वारो का तांता लगने लगा था जिसे हमने , कभी नहीं देखा था वो , सबसे आगे खडा था ! पार्टिया ......अपने अपने उमीद्वारो कोजनता में भुनाने लग गई थी उनके काले कारनामो पे सफेदिया पोतने लगी थी ! सभाओ का .........आयोजनों पर आयोजन होने लगे थेछुट भया नेता ......दिगज नेताओं के चप्पल उठाने लगे थे ! उमीद्वारो का परिचय मंच से दिया जाने लगा नेता उनके बारे में कहने लगा ये .................इस इलाके के माने ( वो गुंडा था) हुए है इनकी तस्बीरे तो ,अखबारों में की बार छापी है ! ये उमीद्वार .... जो आप देख रहे है ये आप के लिए ना सही परपार्टी के लिए की बार अंदर बाहर आते जाते रहे है समया साक्षी और जनता गवा है पुलिस चोकी इनका मायका और जेल इनकी ससुराल है ! बिपक्षी ......इनकी इस छबी को पचा नहीं पा रही है इनपे आरोप पे आरोप लगाए जा रही है की... ये ...गौ-चारा , रेप , मर्डरो में लिप्त है एसा प्रचार कर रही है ! अरे भाई .....किसिना किसी को तो वो चारा खाना ही था उसको ... कहिना कही तो ठिकाना लगाना ही था ! रही...................... " रेप और मर्डरो " की बात तो, हम साफ़ साफ़ कहते है ये तो हमारी पार्टी का सिम्बल भी है हमारी मैनोफैसटो में भी है जो जितना करेगा, करवाएगा उतना ही उंचा पद पायेगा हम आप को चेतावनी देते है और चिला चिल्लाकर कहते है ! बिपक्षी सुन ले .......... और , आप देख ले ....आप वोट दे या ना दे आप वोट डाले या न डाले आप का पडेगा - पडेगा हम दावे से कहते है हमारा ये उमीद्वार ......... जीतेगा और जीतेगा 1 लेखक-
पराशर गौड़ कनाड़ा से (जिन्होने पहली गढ़वाली फिल्म जग्वाल से पहाड़ की सिनेमा को नई पहचान दी)
उक्रांद प्रकरण: बचदा ने भेजी जंतवाल को पाती
कर्णप्रयाग तक पहुंच सकती है ट्रेन: खुराना
Thursday, 23 April 2009
मेरठ में दिखी उत्तराखंडी संस्कृति की झलक
गढ़वाली लोकगीत व नृत्य ने समां बांधा
मेरठ, ऐतिहासिक नौचंदी मेले में दिन-प्रतिदिन दर्शकों की भीड़ बढऩे लगी है। मंडप में गढ़वाली लोकगीत और नृत्य ने समां बांधा रूपकुंड सांस्कृतिक कला मंच के कलाकारों ने 'गढ़वाली लोकगीत' कार्यक्रम में उत्तराखंडी संस्कृति की झालक पेश की। कार्यक्रम का उद्घाटन एडीश्नल कमिश्नर वाणिज्य कर कृष्णकांत वैदिक ने किया। उनके साथ एडीश्नल कमिश्नर ओपी रतूड़ी भी मौजूद रहे। सबसे पहले महावीर, मनोज, सुरेन्द्र कमांडो, मोहन पंवार, अनीता, रेखा और मुन्नी ने 'ऋषि नृत्य' स्वागत गान पेश किया। इसके बाद नंदराजजात की झाांकी पेश की गयी। सुरेन्द्र कमांडों ने नुक्कड़ों पर होने चर्चाओं पर आधारित हास्य नोटिका पेश की तो दर्शक लोटपोट हो गये। मनोज प्रभाकर, रेवा आदि ने 'धनिया को बीज......' लोकगीत पर नृत्य पेश कर समां बांधा तो मोहन पंवार ने पशु-पक्षियों की आवाज से दर्शकों का आश्चर्य चकित कर दिया। गोपाल राम एंड मोहन पार्टी द्वारा गोलू देवता, भैरव और गणदेव आदि पर आधारित कार्यक्रम भी दर्शकों को पसंद आया। मनोज एंड पार्टी ने गढ़वाली लोकनृत्य पेश किया। पंचनाम देवताओं का नाच भी दर्शकों को पसंद आया।
Wednesday, 22 April 2009
म्यार पहाड़-
हौसले और जज्बे को सलाम
उत्तराखँड में विकसित हो मनोरंजन उद्योग : यतीन्द्र
गणतंत्र दिवस परेड में अब उत्तराखंड एनसीसी का भी अपना बैंड का बैड़ होगा
स्कूल घोड़ाखाल के बैंड के प्रस्ताव को मिली स्वीकृति
एनसीसी का भी अपना बैंड होगा। सैनिक स्कूल घोड़ाखाल का बैंड गणतंत्र दिवस परेड में एनसीसी के बैंड के तौर पर भूमिका के अपर महानिदेशक ने इसके लिए अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके साथ ही उन्होंने उत्तराखंड एनसीसी को देश के छह सर्वश्रेष्ठ एनसीसी बटालियनों में से एक करार दिया।एनसीसी महानिदेशालय के अपर महानिदेशक मेजर जनरल अशोक सिन्हा ने अपने एक दिवसीय निरीक्षण दौरे के दौरान उत्तराखंड एनसीसी को खुद के बैंड की सौगात दी है। उन्होंने सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के बैंड को उत्तराखंड एनसीसी के बैंड के तौर पर इस्तेमाल किए जाने के उत्तराखंड एनसीसी निदेशालय के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। उत्तराखंड एनसीसी को देश के सर्वश्रेष्ठ छह एनसीसी बटालियनों में से एक करार देते हुए उन्होंने कहा कि इतनी कमियों के बावजूद इतनी उपल4िध पाना काबिले तारीफ है। लेकिन उत्तराखंड सरकार को इसकी बेहतरी के लिए कुछ कदम उठाने चाहिए। उत्तराखंड एनसीसी में कैडेटों की स्ट्रेंथ इतनी बढ़ गई है कि इसे अपग्रेड करके बटालियन बना दिया जाना चाहिए लेकिन जमीन की अनुपल4धता के कारण स्टॉफ नहीं बढ़ाया जा पा रहा है। यहां की कंपनी पर इतना भार है कि कैडेटों की पर्याप्त ट्रेनिंग देने में दि1कत पेश आ रही है। इसलिए वो प्रदेश सरकार निदेशालय और हैंगर बनाने के लिए जमीन देने की मांग करते हैं। इससे पंतनगर एयर विंग में कैडेटों को हवाई ट्रेनिंग भी दी जा सकती है। मेजर जनरल सिन्हा ने कहा कि एनसीसी कैडेट उत्तराखंड जैसे प्रदेश के लिए काफी सहायक सिद्ध हो सकते हैं, 1योंकि इस प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के साथ अन्य तरह की घटनाएं ज्यादा घटित होती हैं। ऐसे में प्रशिक्षित एनसीसी कैडेट काफी बेहतर ढंग से काम कर सकते हैं। इस मौके पर एनसीसी निदेशालय उत्तराखंड के उप महानिदेशक ब्रिगेडियर पीपीएस पाहवा, गल्र्स बटालियन के कर्नल एके गुप्ता समेत बटालियन के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। इसके पूर्व लक्ष्मी रोड स्थित ११ यूके गल्र्स बटालियन एनसीसी पहुंचने पर कैडेटों ने सलामी दी।
गब्बर सिंह को अपनों ने ही भुलायारितलिंग परेड को नहीं पहुंची गढ़वाल राइफल्स
Tuesday, 21 April 2009
चुनाव लडऩे को रच डाला बेटे के अपहरण का ड्रामा
कई मैदानों पर एक ही 'खेल'
कई मैदानों पर एक ही 'खेल'चुनाव में उतरे खेल संघों से जुड़े कांग्रेस, भाजपा, बसपा व यूकेडी के नेता
, देहरादून राजनीतिक दलों के नेता केवल चुनाव ही नहीं, कई मैदानों पर खेल रहे हैैं। कोई तीरंदाजी को आगे बढ़ा रहा है तो कोई हाकी की बागडोर संभाले है। राफ्टिंग, निशानेबाजी, फुटबाल, वेट लिफ्टिंग व बाडी बिल्डिंग समेत अनेक एसोसिएशनों के फलक पर नेता चमक बिखेर रहे हैैं। क्रिकेट पर कब्जे को लेकर नेताओं में होड़ है। यह खेल ही ऐसा है, जिसमें नाम, काम व दाम का जलवा है। अब चुनाव का मौसम है तो ऐसे में खेल संघों की प्रतिबद्धता भी किसी न किसी पाले में झाुक गई है। राजनीति का खेल हो या खेल की राजनीति, दोनों में ही सियासी दलों से जुड़े नेता व कार्यकर्ता अपनी क्षमता का लोहा मनवा रहे हैैं। खूबसूरती देखिए कि खिलाड़ी राजनीतिक दलों में शामिल होकर जनता की सेवा को बेताब हैैं तो नेता मैदान कब्जाने को बेचैन हैं। अब मल्टीपल टेस्ट का दौर है और ऐसे में देश की सियासत और खेलों को लेकर जो कुछ हो रहा है, उसके पीछे आठ वर्ष की आयु का यह छोटा प्रदेश तेजी से भाग रहा है। राज्य में विभिन्न खेलों की 34 एसोसिएशन पंजीकृत हैैं। अधिकतर में राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं की संख्या ठीकठाक है। सांसद, विधायक, मंत्री व पूर्व मंत्री इन संघों की शान बने हैैं। भाजपा, कांग्रेस, बसपा व उक्रांद के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं का संघों में खासा निर्णायक दखल है। अधिकतर एसोसिएशन ऐसी हैैं, जहां नेता व अफसर ऊंचे तथा खेल की बारीकी जानने वाले निचले पायदान पर हैैं। नेताओं की मुहिम को आगे बढ़ाने में उनका सहयोग बड़ी संख्या में आईएएस, आईपीएस, सेना के सेवानिवृत्त अफसर व खेल की राजनीति के धुरंधर कर रहे हैैं। कुल मिलाकर खेल संघों का जो चित्र उभर रहा है, उसमें नेताओं व अफसरों की जुगलबंदी ही अधिक है। खिलाड़ी तो तभी याद आते हैैं, जब खेल से संबंधित तकनीकी पेच को हल करना हो। अब बात क्रिकेट की। क्रिकेट को लेकर वजूद में आए संघों के बीच उत्तराखंड पालिटिकल लीग (यूपीएल) जारी है। तीनों संघ इस बात को लेकर एक दूसरे पर बाउंसर फेंक रहे हैैं कि वे ही क्रिकेट की राजनीति समझाते हैैं। क्रिकेट, राजनीति व ग्लैमर का रिश्ता ही ऐसा बन गया है कि नेता किसी भी हालत में उस पर कब्जा करना चाहते हैैं। क्रिकेट के लिए राज्य में कुछ हुआ हो या नहीं पर राजनीति खूब हुई। भाजपा और कांग्रेस के नेता इस खेल में महारथी की भूमिका में है, जबकि खिलाड़ी उनके सारथी बने हैैं। आठ वर्ष में क्रिकेट को बीसीसीआई से नहीं जोड़ पाए। क्रिकेट भले ही हार रहा हो पर नेता जीत का जश्न मनाने में जुटे हैैं। अब खेल संघों की सेवा के बदले मेवा हासिल करने का मौका आ गया है। विभिन्न खेल संघों से जुड़े केसी सिंह बाबा(कांग्रेस), जसपाल राणा(भाजपा), नारायण पाल(बसपा) व शैलेश गुलेरी(उक्रांद) चुनाव मैदान में हैैं। जाहिर है कि खेल संघों से जुड़े लोगों उनके इर्द-गिर्द भी हैैं। इसके साथ ही राजनीतिक दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं की एक लंबी फेहरिस्त है। इनमें से कई स्टार प्रचारक भी हैैं। राजनीतिक दलों का प्रभाव ही है कि खेल संघों का झाुकाव भी किसी ने किसी ओर बन गया है। ऐसे में खेल की राजनीति धीरे-धीरे परवान चढ़ती जा रही है।
जल, जंगल, जमीन बने चुनाव का मुख्य मुद्दा
मां पूर्णागिरि धाम के अस्तित्व पर संकट के बादल
= भूगर्भ वैज्ञानिकों ने दिए संकेत = सुरक्षा को लेकर शासन प्रशासन गंभीर = फरवरी में आ गई थी मुख्य मंदिर में दरार
,टनकपुर: देश के सुविख्यात मां पूर्णागिरि धाम के नीचे चट्टान में आई दरार से धाम के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। भू-गर्भ वैज्ञानिकों ने मंदिर व इसके आसपास अधिक दबाव पढऩे से खतरे के संकेत दिए हैं। शासन-प्रशासन चट्टान में आई दरार को पाटने के लिए खासा गंभीर नजर आ रहा है। चम्पावत जिले के मैदानी क्षेत्र टनकपुर से 21 किमी दूर मां पूर्णागिरि का धाम है। इस धाम में प्रतिवर्ष पचास लाख से भी अधिक श्रद्धालु शीश नवाने आते है। पिछले कुछ समय से मुख्य मंदिर के ठीक नीचे चट्टान में दरार आने से मंदिर को खतरा पैदा हो गया है। जिससे श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर सवालिया निशान लग रहे हैं। पर्यटन मंत्री प्रकाश पंत के निर्देश पर चट्टान में आई दरार की वजह को तलाशने के लिए इसी वर्ष 25 फरवरी को आईआईटी रूड़की से आए भूगर्भीय वैज्ञानिक एनब्लादन ने मुख्यमंदिर की पहाड़ी में आई दरार का सर्वे किया था। प्रशासन को सौंपी रिपोर्ट में उन्होंने मंदिर व उसके आसपास अधिक दबाव बढऩे पर खतरे के संकेत दिए। वहीं मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे के निर्देश पर पिछले माह 28 मार्च को देहरादून से आए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अधीक्षण अभियंता नरेन्द्र सिंह, भूवैज्ञानिक मणिकणिका मिश्रा व लोक निर्माण विभाग के ईई विजय कुमार ने भी चट्टान में आई दरार का सर्वे किया था। इस टीम ने भी स्वीकारा कि चट्टान में अधिक भार देने से कभी भी खतरा पैदा हो सकता है। इन रिपोर्टों को गंभीरता से लेते हुए चम्पावत के जिलाधिकारी अवनेन्द्र नयाल ने पूर्णागिरि मेला शुरू होने से पूर्व में विभिन्न विभागों के अधिकारियों और धाम के पुजारियों की बैठक में स्पष्ट किया था कि मेले में भीड़भाड़ को देखते हुए मुख्य मंदिर से पचास मीटर नीचे बैरियर लगाकर एक बार में पांच से दस तीर्थ यात्रियों को ही दर्शन के लिए आने दिया जाएगा। वे तीर्थयात्री मंदिर के दर्शन पंाच फिट दूर से ही कर पाएंगे, लेकिन श्रद्धालुओं की लगातार भीड़भाड़ को देखते हुए इस आदेश का पालन मुख्य मंदिर में नही दिखाई दे रहा है। पूर्णागिरि मेले का संचालन करने वाले जिला पंचायत ने इस बार मेले की अवधि बारह मार्च से छह जून तक निर्धारित की है। इन दिनों देश के कोने से श्रद्घालु हर रोज मां पूर्णागिरि धाम के दर्शन को पहुंच रहे है। धाम पर दबाव पढऩे से खतरा बना हुआ है। मुख्य मंदिर के नीचे आने जाने वाली सीढिय़ों के संकरी होने से तथा नीचे गहरी खाई होने के कारण भगदड़ मचने की स्थिति में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। डीएम श्री नयाल का कहना है कि बीते ढाई वर्षों से चट्टान में दरार का मामला प्रकाश में आया है। शासन व पर्यटन विभाग मंदिर के नीचे आई दरार को जोडऩे के लिए विशेष कार्य योजना बना रही हैं। उन्होंने कहा कि अगले मई माह से विशेषज्ञों की निगरानी में चट्टान में आई दरार को पाटने का काम शुरू किया जाएगा। डीएम ने कहा कि श्रद्घालुओं को धाम में सुव्यवस्थित तरीके से दर्शन कराए जा रहे है। जिससे चट्टान पर दबाव न पड़े। भूगर्भ वैज्ञानिक एनब्लादन कहते हैं कि चट्टान में दरार किन कारणों से आई है इसका अध्ययन किया जा रहा है और शीघ्र ही इसका खुलासा कर दिया जाएगा। अलबत्ता धाम के पुजारियों ने भी दरार को शीघ्र पाटने की मांग शासन प्रशासन से की है।