Monday, 20 April 2009

खतरे में नैनीताल: दरक सकता है बलिया नाला!

-करोड़ों खर्च होने के बाद भी भू-स्खलन का खतरा आशंका: कई गांव की करीब 20 हजार आबादी आ सकती है खतरे की जद में -भाजपा विधायक ने शासन को लिखी चिट्ठी, आशंका जताई हल्द्वानी: बलिया नाला एक बार फिर नैनीताल के लिए खतरा बन गया है। नाले के आसपास पहाड़ों में पड़ी दरारें बढ़ती जा रही हैैं। साथ ही धीमी गति से भू-स्खलन भी हो रहा है। खतरा नजर भले ही न आ रहा हो मगर बरसात के समय तबाही मचा सकता है। भाजपा विधायक ने भी भयावह होती स्थिति से शासन को अवगत करा दिया है। नैनीताल की विश्व प्रसिद्ध झाील का लुत्फ उठाने देश ही नहीं बल्कि विश्वभर के लोग हर साल और हर समय आते हैैं। इस झाील में पानी संतुलन से अधिक न हो, इसके लिए बलिया नाला निकाला गया है। जो झाील से ब्रेबरी पुल तक है। यह नाला अंग्र्रेजों ने निकाला था। इस नाले में होकर झाील का पानी रानीबाग में आकर गौला नदी में मिलता है। चार साल पहले इस नाले को 15.56 करोड़ के प्रोजेक्ट से तैयार किया गया है। बावजूद इसमें भू-स्खलन की स्थिति बनी रहने से इसकी गुणवत्ता पर उंगलियां उठा रही है। सिंचाई विभाग के सूत्र बताते हैैं कि वीरभट्टी, कृष्णापुर, रहीश होटल का क्षेत्र, राजकीय इंटर कालेज और आलूखेत में पड़ी दरारें अभी तक ज्यों की त्यों हैैं। यह हाल गरमी के समय में है। यह हाल बढ़ती आबादी और आवागमन से बढ़ते बोझा से पैदा हो रही है। स्थिति से भाजपा विधायक खडग़ सिंह बोहरा ने भी शासन को अवगत करा दिया है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि बलिया नाला नैनीताल की नींव है। उसमें करोड़ों खर्च के बावजूद भू-स्खलन की स्थिति बनी हुई है। नाले की तली और साइडें वीरभट्टी तक पक्की है। नाले की बुनियाद और उसके दोनों ओर की पहाडिय़ों का भारी कटाव व धसाव अभी भी हो रहा है, जो नैनीताल के लिए कभी खतरा बन सकता है। इस स्थिति को गंभीरता से लिए बिना अगर झाील संरक्षण योजना या फिर जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत कार्य कराये जा रहे हैैं, तो वह सभी कार्य व्यर्थ हैं। इधर, राज्य उद्यमिता विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष डा.रमेश पांडे ने फोन पर बताया कि आधा दर्जन इलाके खतरे में हैैं। इस बाबत तत्कालीन कांग्र्रेस सरकार में उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखकर दिया था, जिसमें उन्होंने रोप-वे की तर्ज पर स्वीडन अथवा और कहीं विदेश के इंजीनियर बुलाकर मजबूती से काम कराने की मांग की गई थी। इंसेट:::::::::शासन ने मांगी डीपीआर हल्द्वानी: सिंचाई विभाग उत्तर परिक्षेत्र के मुख्य अभियंता एबी पाठक भी नाले की कमजोरी स्वीकारते हैैं। उनका कहना है कि झाील से लेकर करीब डेढ़ किमी तक नाले का तल कुछ साल पहले पक्का कर दिया था। बाकी हिस्सा कच्चा है। जहां पहाड़ कमजोर हैैं वहां भू-स्खलन की स्थिति से हालत चिंताजनक हो जाती है। विभाग पूरी नजर रखे हुए है। शासन ने भी बलिया नाले की डीपीआर मांगी है, इस पर जल्द अध्ययन कर रिपोर्ट भेजी जा रही है।

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