Monday, 20 April 2009

-छोटे गधेरों में पनचक्की से बनाई जाए बिजली

बड़े बांधों का विरोध किया सुंदरलाल बहुगुणा : पर्यावरणविद् पद्मभूषण सुंदर लाल बहुगुणा का कहना है कि पहाड़ की चोटियों पर पानी ले जाना चाहिए, उनके ढालों पर पेड़ लगाने चाहिए और बड़े बांधों के बजाय छोटे-छोटे गाड-गधेरों में पनचक्की से बिजली पैदा की जानी चाहिए। (धार ऐंच पाणी, ढाल पर डाला, बिजली बणावा खाला-खाला) उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ रहे सभी सियासी दलों के एजेंडा भी यह बात होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बांध पानीकी स्थायी समस्या का तात्कालिक हल है। रविवार को देहरादून के जीएमएस रोड स्थित एक होटल में 'चुनाव और हिमालय संसाधन एवं नीति' विषय पर पत्रकार वार्ता में सुंदर लाल बहुगुणा ने कहा कि राजनीति ही सब कुछ तय करती है, इसलिए चुनाव में आम जनता को जल, जंगल, जमीन के मुद्दों के सकारात्मक हल के लिए राजनीतिक दलों पर दबाव डालना चाहिए। राजनीतिक दलों के एजेंडे में पर्यावरण के मुद्दे न होना चिंता की बात है। उन्होंने देश में प्रकृति से सामंजस्य बनाती एक हिमालय नीति की जरूरत पर बल दिया। सुंदरलाल बहुगुणा की पत्नी विमला बहुगुणा ने कहा कि राजस्व बढ़ोतरी के लिए शराब को प्रोत्साहन देने का विरोध करना चाहिए। पद्मश्री डा.अनिल जोशी ने कहा कि देश में अब तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की गणना के लिए मूल प्राकृतिक संसाधनों के बजाय औद्योगिक वृद्धि, कृषि को आधार बनाया जाता रहा है। इस परंपरा को तोड़ते हुए जंगल, पानी, नदियों को जीडीपी का आधार बनाया जाना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो देश के जीडीपी में हिमालय की भागीदारी 40 प्रतिशत से भी ज्यादा हो जाएगी, मगर अफसोस कि राजनीतिक दल देश की आर्थिक, सामाजिक व सीमा की सुरक्षा करने वाले हिमालय पर ध्यान नहीं देते हैं। ंने कांग्रेस तथा यूपीए के खिलाफ भाजपा के मुददों के रूप में गिनाया।

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