Monday, 20 April 2009

प्रोटीन की खान हैं पहाड़ी अनाजनई टिहरी।

अल्पप्रयुक्त होने वाले मंडुवा, रामदाना एवं झांगोरा जैसे अनाज अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रहे हैं। इनका प्रयोग बिस्कुट बनाने से लेकर हलुवा, क्रिस्पीज, गुलगुला, बड़ी और पापड़ बनाने में भी होने लगा है।मंडुवे का उपयोग पहले रोटी बनाने के लिए होता था। इसकी रोटी काली सी होती है। रानीचौरी परिसर के वैज्ञानिकों ने इसकी ब्रीड में परिवर्तन किया है। जिससे मंडुवे की रोटी भी गेहंू की तरह हो गई है। मंडुवे के बिस्कुट की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। इसकी वजह मंडुवे में अधिक पोषक तत्व होना है। रामदाने का हलवा भी गुणकारी मानते हुए वैज्ञानिकों ने इसे बहुत अच्छा बताया है। झांगोरा से स्नै1स, क्रिस्पजी, पापड़ आदि भी बनाए जा रहे हैं। पर्वतीय परिसर के कृषि वैज्ञानिक प्रो.एम द8ाा एवं डा. विजय यादव बताते हैं कि किसानों को मोटे अनाजों से वैज्ञानिक विधि के आधार पर नए दौर के भोज्य पदार्थं बनाने की जानकारी देने से उनकी आय बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि परिसर की ओर से परंपरागत फसलों से बने व्यंजनों की प्रतियोगिता में स्वाद, रंग और स्वरूप के आधार पर किए गए मूल्यांकन में भी इनका प्रतिशत बहुत अच्छा रहा है।

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