Wednesday 22 April 2009

हौसले और जज्बे को सलाम

दून के स्लम्स में रहने वाले बच्चों ने. कूड़ा बीनने वाले ये बच्चे कब प्राइमरी बोर्ड के टॉपर बन गए किसी को पता ही नहीं चला. कूड़ा बीनते-बीनते इनकी मैथ और इंगलिश में कब इतनी पकड़ बन गई कि इन्होंने बोर्ड के एग्जाम में 99 परसेंट नंबर गेन किए किसी को पता भी नहीं चला. स्लम्स की लाइफ से ऊपर कहते हैं विजडम या टैलेंट किसी ग्रुप विशेष की पहचान नहीं होती, यह किसी में भी हो सकता है. चाहे वह हाई-फाई सोसाइटी का हो या फिर स्लम्स की गंदगी में जीने वाले बच्चे. इसी को सच कर दिखाया है दून के स्लम्स में रहने वाले बच्चों ने. कूड़ा बीनने वाले ये बच्चे कब प्राइमरी बोर्ड के टॉपर बन गए किसी को पता ही नहीं चला. कूड़ा बीनते-बीनते इनकी मैथ और इंगलिश में कब इतनी पकड़ बन गई कि इन्होंने बोर्ड के एग्जाम में 99 परसेंट नंबर गेन किए किसी को पता भी नहीं चला. स्लम्स की लाइफ से ऊपर जैसे ही स्लम एरिया में घुसते हैं सामने से बच्चों की आवाज आती है कि भइया क्या आपको पुड़िया लेनी है? छोटे-छोटे बच्चों में भी नशे की लत इस कदर हावी है कि कोई सोच भी नहीं सकता. लेकिन रंजीता और रोमा नाम की इन दो बच्चियों ने ऐसा कारनामा किया है कि कोई भी वाह किए बिना नहीं रह सकता. जी हां इन दोनों ने प्राइमरी बोर्ड में पूरे दून में टॉप किया है. बांड फाउंडेशन सोसाइटी ने इन बच्चों को ऐसा तराशा कि आज उन्होंने अपने मां-बाप और पूरे स्लम्स का नाम ऊंचा कर दिया. Math, english पर मजबूत पकड़ इन दोनों बच्चियों की मैथ और इंगलिश में इतनी अच्छी पकड़ है कि देखकर हैरान हो जाएं. बांड फाउंडेशन सोसाइटी की फाउंडर श्रावणी सरकार का कहना है कि इन दोनों बच्चियों को जो भी काम दिया जाता है, वह चुटकियों में पूरा कर देती हैं. उन्होंने बताया कि रोमा ने इंगलिश में 99 परसेंट तो रंजीता ने मैथ में 87 परसेंट मा‌र्क्स गेन कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. पेरेंट्स करते हैं मजदूरी इन दोनों बच्चियों के पेरेंट्स मजदूरी कर अपने बच्चों का पेट पालते हैं. रोमा के पिता सुरेश मजदूरी करते हैं तो माता कला देवी सिलाई कर घर का गुजारा चलाती हैं. वहीं रंजीता के पिता बुद्धन और माता रजिया देवी भी मेहनत मजदूरी कर घर का खर्च चलाते हैं. उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके बच्चे एक दिन उनका नाम रोशन करेंगे. बनना चाहती हैं रोल मॉडल दोनों बच्चियों में कुछ करने का ऐसा जज्बा है कि दोनों ही महिलाओं और पूरे स्लम्स के बच्चों के लिए रोल मॉडल बनना चाहती हैं. रंजीता का कहना है कि वह कुछ ऐसा करना चाहती हैं कि लोग उनके नाम को याद रखें. रोमा का भी कुछ ऐसा ही सपना है कि वह एक दिन कुछ ऐसा कर जाए कि पूरी दुनिया उनकी वाह-वाह करे.

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