Saturday, 30 May 2009
और कभी यह खेत उगलते थे सोना
-मनेरी भाली फेज टू योजना की भेंट चढ़ गए खेत
-परियोजना समाप्ति के बाद नहीं मिल रहा काश्तकारों को काम
उत्तरकाशी: मनेरी भाली फेज-टू बिजली उत्पादन की दृष्टि से राज्य व देश के लिए भले ही महत्वपूर्ण हो, लेकिन इस परियोजना ने धनारी पट्टी के हजारों किसानों को कभी न खत्म होने वाला दर्द दिया है। इस क्षेत्र के काश्तकारों की कभी सोना उगलने वाली 37.38 हेक्टेयर भूमि आज रेगिस्तान में तब्दील हो चुकी है।
जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से करीब 35 किमी की दूरी पर स्थित मनेरी भाली परियोजना धनारी पट्टी के काश्तकारों के लिए अभिशाप से कम नहीं है। धनपति गाड़ के किनारे हिटाणु, ढुंगी, सिंगुणी, व पुजार गांव के करीब आठ हजार कृषक परिवार कभी इसी जमीन पर निर्भर थे। यहां राजमा, आलू, प्याज, धान और गेहूं की लहलहाती फसलों ने इन परिवारों को कभी भूखा नहीं रहने दिया। परियोजना का निर्माण कार्य शुरू होते ही ग्रामीणों के बुरे दिन शुरू हो गए। परियोजना का निर्माण कार्य वर्ष 2001 में शुरू हुआ। धनपति गाड़ से धरासू पावर हाउस की सुरंग का रास्ता धनपति गाड़ पर खोदा गया। इस रास्ते सुरंग में इस्तेमाल के बाद बचे बालू, सीमेंट और कंकरीट को बहाया जाने लगा। इसके अलावा गांव के खेतों से सुरंग तक सड़क का भी निर्माण किया गया। इससे किसानों की खेती की जमीन पूरी तरह चौपट हो गई। काश्तकारों ने आवाज उठाई तो वर्ष 2003, 2004, 2006 व 2007 की नष्ट हुई फसल का काश्तकारों को जमीन व फसल का कुल 87,23,927 रुपये प्रतिकर मिला। ग्रामीणों को तब तत्कालीन सिंचाई मंत्री शूरवीर सजवाण ने आश्वासन दिया कि उनके खेतों में फसल न उगने तक उन्हें प्रतिकर दिया जाता रहेगा, पर परियोजना का निर्माण पूरा होते ही किसानों को फसलों का प्रतिकर देना बंद कर दिया है। अब काश्तकार खेती के अभाव में मजदूरी करने को विवश हैं। ग्रामीणों के पास जो शेष कृषि योग्य भूमि बची है, वहां भी सिंचाई की सुविधा नहीं है।
---
संघर्ष की तैयारी में ग्रामीण
उत्तरकाशी : खेती की जमीन नष्ट होने से परेशान धनारी के ग्रामीण अब संघर्ष की तैयारी में हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में शासन ने कई बार उन्हें आश्वासन दिए कि उनकी जमीन को पुन: दुरुस्त कर उन्हें लौटायी जाएगी। इसके अलावा सिंचाई नहरों को ठीक कर खेती को सिंचाई योग्य पानी भी मुहैया होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हिटाणु गांव के काश्तकार अब्बल सिंह, ओम प्रकाश, उमा शंकर, हरि शंकर व सिगुणी के कुंदन सिंह, किशन सिंह समेत अन्य का कहना है कि वह अपने अधिकार के लिए सड़क पर उतरेंगे।
---
अनुपयोगी जमीन का होगा सर्वे
उत्तरकाशी: उप जिलाधिकारी डुण्डा एचएस सेमवाल ने बताया कि परियोजना से प्रभावित हुई खेती का ग्रामीणों को प्रतिकर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि परियोजना से जो जमीन प्रभावित हुई है उसके सर्वे के बाद शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी। उप जिलाधिकारी ने कहा कि शासन को जमीन अनुपयोगी होने की रिपोर्ट के बाद ही काश्तकारों को जमीन का मुआवजा मिल सकता है।
---
जमीन के बदले रोजगार का ख्वाब भी निकला झाूठा
उत्तरकाशी : मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना का निर्माण शुरू होने से पहले काश्तकारों को सरकार ने जमीन के बदले रोजगार का ख्वाब दिखाया था। योजना समाप्त होने के साथ ही ग्रामीणों का यह ख्वाब भी टूट गया है। परियोजना निर्माण तक ग्रामीणों को ठेकेदारों के अधीन काम मिला, जो परियोजना समाप्ति के साथ ही छिन गया है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment