Friday, 8 May 2009

'छम चूड़ी बजली' में दिखी संगीत की साधना

पौड़ी। गढ़वाली कैसेट 'छम चूड़ी बजली' में लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी के अनुज प्रमेंद्र नेगी ने अपनी सुर और संगीत की साधना को साबित किया है। कैसेट के गीत इतिहास, प्रेम और राजनीति के बदले चहेरों पर आधारित हैं।आठ गीतों वाले इस कैसेट का टाइटल गीत 'छ6म चूड़ी बजली' में महाभारत के कृष्ण और अर्जुन की वार्ता का प्रसंग है। पाण्डव शैली का यह गीत खासा प्रभावी है। 'जै हो बिनसर देवता' में गढ़वाल के चर्चित बिनसर देवता की स्थापना से लेकर इतिहास पर रोशनी डाली गई है। 'झाणि कुजणि क्या होंद रे' में विकास के लिए सिर्फ राजनेताओं के भरोसे न बैठने का संदेश है। इसके अलावा 'बणि गयूं मि बौल्या खौला मेलों म एकी', 'भूली बिसरी की कभी मेरा सुपन्यों मा भि ऐ' और 'दुनिया बसीं आ2यूं मा तु बसी छै मन भितर छोरी शक न कर' में प्रेम प्रसंगों को मर्यादित ढंग से सुर दिए हैं। गायक प्रमेंद्र ने बताया जिला पंचायत अध्यक्ष केशर सिंह नेगी के विशेष सहयोग व सलाह से यह कैसेट निकला है। गायिका ज्योति नैनवाल ने सुरों में साथ दिया है। निर्माता रवींद्र लखेड़ा, संगीत संयोजक प्रीतम रावत, विनोद थपलियाल, संयोजक विक्रम रावत तथा निर्देशन मोहन लखेड़ा का है।

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