Friday, 1 May 2009
शिक्षा सुविधाओं में उत्तराखंड आगे
गुणवत्ता और मास्साब की हाजिरी में हिमाचल पैटर्न मुफीद
-हिमाचल में 7.28 फीसदी स्कूलों में एकल शिक्षक, उत्तराखंड में यह आंकड़ा 14.46 फीसदी
: पहली से आठवीं तक स्कूलों में प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता, मास्साब की मौजूदगी, पढ़ाई के ज्यादा दिनों की बात करें तो 'हिमाचल पैटर्न' उत्तराखंड पर भारी पड़ रहा है। अलबत्ता, स्कूलों में पेयजल, कंप्यूटर और पक्के भवनों समेत सुविधाएं जुटाने के मामले में उत्तराखंड ने अपने पड़ोसी राज्य को पीछे छोड़ दिया है।
शिक्षा स्तर और साक्षरता दर में उत्तराखंड अभी हिमाचल से आगे नहीं निकल सका है। भौगोलिक परिस्थितियों के मामले में दोनों ही राज्य काफी हद तक समानता रखते हैं। हिमाचल ने जिस तरह कई क्षेत्रों में नियोजित ढंग से प्रगति की है, उससे नए राज्य पर 'हिमाचल पैटर्न' अपनाने का दबाव गाहे-बगाहे पड़ता रहता है। कक्षा एक से आठवीं तक प्रारंभिक शिक्षा में बुनियादी सुविधाएं जुटाने के मामले में उत्तराखंड और हिमाचल के बीच चौड़ी खाई थी। राष्ट्रीय स्तर पर 23 बिंदुओं के मानकों पर निगाह डालें तो सुविधाएं जुटाने की रफ्तार उत्तराखंड में तेज है, जबकि गुणवत्ता और शिक्षकों की संख्या और हाजिरी के मामले में हालत डांवाडोल है।
नेशनल यूनिवर्सिटी आफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (न्यूपा) के सर्वे के आंकड़ों की बानगी यही हालात बयां करती है। हिमाचल में प्राइमरी से अपर प्राइमरी तक कुल 17197 स्कूलों में से सरकारी की तादाद 87 फीसदी है। स्कूलों की तादाद में सूबा आगे है। यहां तकरीबन 20610 स्कूल हैं पर सरकारी महज 82 फीसदी हैं। छह से 11 साल उम्र के प्रति एक हजार बच्चों पर हिमाचल में 22 व उत्तराखंड में 16 ही प्राइमरी स्कूल हैं। उक्त राज्यों में क्रमश: 2.27 प्राइमरी पर एक अपर प्राइमरी व 2.65 प्राइमरी पर एक अपर प्राइमरी स्कूल है। रोचक तथ्य यह है कि हिमाचल में एक सत्र में बच्चे तकरीबन 230 दिन पढ़ रहे हैं, जबकि यहां सिर्फ 213 दिन। वहां प्राइमरी में औसतन एक स्कूल में तीन क्लासरूम, अपर प्राइमरी में 16 बच्चों पर एक क्लासरूम है। उत्तराखंड में एक स्कूल में 2.90 क्लासरूम व अपर प्राइमरी में 20 बच्चों पर एक क्लासरूम है। कक्षा एक से आठवीं तक एकल शिक्षकों का ग्राफ उत्तराखंड में ऊंचा है। यहां 14.46 फीसदी स्कूलों में एक ही शिक्षक से काम चलाया जा रहा है। हिमाचल में यह आंकड़ा 7.28 फीसदी है। पांचवीं कक्षा में यहां उत्तीर्ण होने वाले छात्र 97.97 फीसदी है, जबकि पड़ोसी राज्य में यह आंकड़ा 96.41 फीसदी है। लेकिन 60 फीसदी से ज्यादा अंक लेकर पास होने वालों में छात्रों व छात्राओं की संख्या हिमाचल में क्रमश: 14 फीसदी व 20 फीसदी ज्यादा है।
स्कूलों में सुविधाओं के मामले में उत्तराखंड में 93 फीसदी स्कूलों के पक्के भवन, 84.44 फीसदी में कामन टायलट, 16.54 फीसदी प्राइमरी स्कूलों में कंप्यूटर, 45.89 फीसदी अपर प्राइमरी स्कूलों में कंप्यूटर हैं, वहीं पड़ोसी राज्य में उक्त सुविधाएं क्रमश: 69 फीसदी, 43.45 फीसदी, 10.40 फीसदी, 27.43 फीसदी ही हैं। प्राइमरी में नामांकन में हिमाचल काफी आगे है। वहां 659422 बच्चों का नामांकन हुआ, जबकि उत्तराखंड में यह संख्या सिर्फ 1056943 है। अपर प्राइमरी में नामांकन में उत्तराखंड के हालात बेहतर हैं। यहां 476069 विद्यार्थियों का नामांकन हुआ, जबकि हिमाचल में महज 424618 फीसदी विद्यार्थी पांचवीं से आगे बढ़कर अपर प्राइमरी में पहुंचे।
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