Saturday, 2 May 2009
कितनी बदली है तस्वीर भारतीय मजदूरों की?
मई दिवस
जरा सोचिए-
कितनी बदली है तस्वीर भारतीय मजदूरों की?
कितना भेदभाव है आज भी मजदूरों के साथ?
क्यों, मजदूरों को एक मिनट की देरी का भी पैसा वेतन से काट लिया जाता है, जबकि सरकार व प्रबंधन मजदूरों के वेतन निर्धारण में वर्शों का विलंब कर देती है?
क्यों, भारतीय प्रबंधन मजदूरों से जापानी बनने को कहती है जबकि स्वयं अंग्रेजी षाशन प्रणाली अपनाती है और भारतीय तक नही बन पाती?
क्यों, आज भी अनेक संस्थानों में कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार, भोजनालय, सामुदायिक केंद्र व अन्य सुविधाओं का भेदभाव किया जाता है?
क्यों, सरकारी प्रतिश्ठानों में कर्मचारियों को प्रगति के अवसरों से वंचित रखा जाता है? यदि ऐसा सरकारी प्रतिश्ठानों में होता है तो निजि संस्थानों में क्या होता होगा?
क्यों, औद्योगिक उत्पादों के दामों में मंहगाई के अनुपात से वृद्धि नही हो रही है? कहीं यह मजदूरों के षोशण के कारण तो नही?
जरा सोचिए!
हेमचन्द्र कुकरेती
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