Tuesday, 5 May 2009
तदर्थ प्रवक्ताओं को नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता
देहरादून। प्रदेश के सरकारी डिग्री कालेजों में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों की वरिष्ठता उनकी नियुक्ति तिथि से ही मानी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर इस बाबत फैसला दिया है। इन शिक्षकों को कोर्ट से मिली इस राहत से 40 से ज्यादा कालेजों के प्राचार्यो के रिक्तपदों पर डीपीसी के मसले पर फिर ब्रेक लगता दिख रहा है।
उच्च शिक्षा महकमे में डीपीसी की कवायद तमाम कोशिशों के बावजूद सिरे नहीं चढ़ पा रही है। लंबे समय से हाईकोर्ट में विचाराधीन मसले पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए आखिरकार महकमे की वरिष्ठता सूची को सही ठहरा दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश से इस सूची को दोबारा संशोधन करना पड़ेगा। राजकीय पीजी कालेज रुद्रपुर व एमपीजी कालेज हल्द्वानी में तदर्थ नियुक्तदो महिला शिक्षिकाओं की रिट पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तदर्थ शिक्षकों की वरिष्ठता उनकी नियुक्ति तिथि से तय करने के निर्देश दिए हैं। इससे राज्य लोक सेवा आयोग से चयनित तकरीबन 350 शिक्षकों की वरिष्ठता खतरे में पड़ गई है। मौजूदा व्यवस्था के तहत तदर्थ नियुक्त शिक्षकों की वरिष्ठता उनकी नियमित नियुक्ति की तिथि से ही तय होती रही है। अब ज्वाइनिंग की तिथि से वरिष्ठता तय हुई तो उच्च शिक्षा महकमे की सूची में बड़ा फेरबदल होना तय है। यही नहीं, इससे अब तक तय हो चुकी वरिष्ठता पर भी नए सिरे से विचार करने की नौबत आ सकती है। महकमे के आला अफसरों के मुताबिक सप्रीम कोर्ट के निर्णय की जानकारी उन्हें इंटरनेट पर मिली है। फैसले की विस्तृत रिपोर्ट मिलने पर ही आगे की कार्रवाई होगी। महकमे ने फैसले की प्रति हासिल करने के लिए एक व्यक्ति को दिल्ली रवाना किया है। सूत्रों के मुताबिक इस फैसले से प्रभावित होने वाले आयोग से चयनित शिक्षक भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं। उन्हें भी फैसले की विस्तृत रिपोर्ट की प्रतीक्षा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन करने के बाद ही नई सूची के बारे में फैसला शासन लेगा। फिलहाल डीपीसी जल्द होने की महकमे की उम्मीद ठंडी पड़ती दिख रही है। उधर, नैनीताल हाईकोर्ट ने अभी हाल ही में अपने पहले फैसले को पलटते हुए महकमे की वरिष्ठता सूची को सही माना है। इस सूची को डा. एमएम जोशी ने हाईकोर्ट ने चुनौती दी थी। पहले जारी आदेश में हाईकोर्ट ने डा. जोशी के वरिष्ठता के दावे को सही पाते हुए महकमे को सूची में संशोधन के निर्देश दिए थे। बाद में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को पुनर्विचार करने के निर्देश दिए थे। सूत्रों के मुताबिक हाईकोर्ट ने अपने नए आदेश में डा. जोशी के सरकारी डिग्री कालेज में ज्वाइनिंग से पहले विवि में की गई सेवा को जोड़ने के दावे को सही नहीं माना।
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