Saturday, 7 March 2009
सेम-नागराजा मंदिर भूस्खलन की जद मेंनई टिहरी।
उ8ाराखंड के पांचवें धाम के रूप में प्रसिद्ध सेम-नागराजा मंदिर भूस्खलन की जद में है। मंदिर की सुरक्षा के लिए प्रयास नहीं किया गया तो आस्था एवं पर्यटन का यह स्थल कभी भी जमींदोज हो सकता है।बांज, बुरांश, खर्स और मौरू से आच्छादित एवं प्राकृतिक सौंदर्य से भरे प्रतापनगर प्रखंड के सेम में राज्य का सर्वोच्च नागतीर्थ सेम-नागराजा का मंदिर स्थित है। विकट भौगोलिक स्थितियों के बावजूद रामायण प्रचार समिति ने श्रमदान एवं श्रद्धालुओं के सहयोग से मंदिर में अनेक सुविधाएं जुटाई हैं।
मार्च २००६ में नागद्वार का निर्माण, मूर्तियों की स्थापना एवं मंदिर का जीर्णोद्धार 5ाी किया गया। लेकिन भू-धंसाव से इस मंदिर को खतरा पैदा हो गया है। समिति के ऋषिराम उनियाल, वास्तुविद केसी कुडिय़ाल, संवेदना समूह के जयप्रकाश राणा का कहना है कि यदि बरसात से पूर्व मंदिर की सुरक्षा के लिए उपाय नहीं किए गए तो इसके लिए खतरा हो सकता है।
समिति के उ8ारकाशी, देहरादून एवं कोटद्वार के सदस्यों ने मंदिर की सुरक्षा के लिए जनसहयोग से आरसीसी कॉलम के सहारे ३५० फीट लंबी एवं ५० फीट ऊंची दीवार निर्माण करने का निर्णय लिया है। इस पर करीब १८ लाख रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया है। समिति एवं संवेदना समूह के सदस्यों ने मांग की है कि जब मंदिरों के सौंदर्यकरण के नाम पर पर्यटन विभाग लाखों रुपये खर्च कर रहा है तो आस्था एवं पर्यटन के केंद्र सेम-नागराजा मंदिर के सुरक्षा के लिए भी विभाग को ठोस कदम उठाने चाहिए। कहा गया कि इससे सुरक्षात्मक उपाय करने के साथ ही पवित्र सेम को अलग पहचान दिलाने के लिए छोटे-छोटे मंदिरों का भी निर्माण कराया जाएगा।
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