Saturday, 7 March 2009

अखर रहा लोगों को ट्रामा सेंटर का अभावकोटद्वार।

गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की दरकार है। जिले के दूरस्थ ग्रामीण अंचलों सहित निकटवर्ती बिजनौर जिले की बड़ी आबादी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कोटद्वार पर निर्भर है, लेकिन यहां आने वाले दुर्घटनाओं के अधिकांश मामलों में घायलों को रेफर करने की परंपरा के चलते सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने की पोल खोल रहे हैं।जिले के कई 4लाकों की जनता स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कोटद्वार पर निर्भर है, लेकिन सरकारी उपेक्षा के चलते यहां आज भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का टोटा बना हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों के अभाव के चलते सैकड़ों लोग प्रतिदिन पर्वतीय क्षेत्रों से इस उ6मीद से यहां पहुंचते हैं कि उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया होंगी, लेकिन चिकित्सालय में आने वाले मरीजों के साथ ही ज्यादातर दुर्घटना के मामलों में सिर की मामूली चोट के घायल भी बाहर भेज दिए जाते हैं। फाइलों में उलझाा 4लड बैंक का मामलाकोटद्वार। स्वीकृत 4लड बैंक का मामला भी तकनीकी पेंचों में उलझाा हुआ है। राजकीय संयु1त चिकित्सालय परिसर में बने 4लड बैंक के भवन का गत वर्ष बाकायदा उद्घाटन तक कर दिया गया था। लेकिन केंद्रीय औषधीय नियंत्रण संगठन द्वारा लगाई गई आप8िा के चलते मामला अभी भी फाइलों में ही सिमटा है। भूमि स्थानांतरण हो हलकोटद्वार। सीएमएस डॉ. आरएस रावत ने बताया ट्रामा सेंटर के लिए सीतापुर नेत्र चिकित्सालय परिसर में चिह्नित भूमि के स्थानांतरण का मामला राजस्व विभाग के पास लंबित है। उन्होंने इसके शीघ्र हल होने की उ6मीद जताई है। लंबे समय से चल रही भूमि चयन की प्रक्रियाकोटद्वार। ट्रॉमा सेंटर न होने के कारण दुर्घटनाओं के अधिकांश मामलों में घायल समुचित उपचार न मिलने के कारण दम तोड़ देते हैं। गत नवंबर में तत्कालीन डीएम शैलेश बगोली की अध्यक्षता में एक समिति द्वारा सीतापुर नेत्र चिकित्सालय परिसर में भूमि का सीमांकन भी किया गया था, लेकिन इस मामले में अभी तक प्रगति नहीं हुई है।

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