Thursday, 5 March 2009
हास-परिहास का अनूठा संगम है होली स्वांग
नैनीताल: होली के गीतों की गूंज घर-घर सुनाई देने लगी है। बैठकी होली पूरे शबाब पर है। होल्यारों का जोश भी देखते ही बनता है। होली की अनूठी विधा है महिला स्वांग। समाज में व्याप्त अच्छाई व बुराईयों को विभिन्न चरित्रों के माध्यम से महिलाएं स्वांग के जरिए दर्शाती हैं। बसंत के आगमन पर प्रकृति में चारों ओर नाना प्रकार के रंग-बिरंगे फूल अपनी होली तो खेल चुके हैं। अब इंतजार है सब लोगों को अपनी होली का। बरसाने (मथुरा) की लठमार होली जहां विश्र्व भर के लोगों को आकर्षित करती है वहीं कुमाऊं की होली भी अपनी विशिष्ट शैली के लिए लोकप्रिय हैं। कुमाऊं में जहां खड़ी व बैठकी होली प्रमुख रूप से धमार, खमाज, पीलू, देश, जैजेवंती व विहाग जैसे रागों पर आधारित होती है वहीं होली की अनूठी परम्परा समेटी महिला स्वांग होली का अपना ही आनंद है। नैनीताल के रंगकर्मी बृजमोहन जोशी के अनुसार महिला स्वांग होली पर महिलाओं का वर्चस्व नकारा नहीं जा सकता। घरों पर आयोजित होने वाली महिलाओं की होली में महिलाएं सामाजिक घटनाक्रमों, राजनीतिक व प्रसिद्ध व्यक्तियों का चरित्र हास्य व्यंग्य के माध्यम से प्रस्तुत करती हैं। दहेज प्रथा, शराबी पति, महंगाई, बाल-विवाह आदि मुद्दे भी होली पर स्वांग के माध्यम से उठाए जाते हैं। गौर्दा, गुमानी पंत व मौलाराम जैसे लोकप्रिय जन कवियों ने अपनी होली रचनाओं में स्वांग का प्रयोग किया है। उत्तराखंड के लोकप्रिय जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा महिला स्वांग होली पर कहते हैं कि होली रंगों के पर्व के साथ अभिव्यक्ति का पर्व भी है। होली पर महिलाएं विभिन्न सामाजिक चरित्रों को स्वांग के जरिए उजागर करती हैं। गिर्दा बताते हैं कि स्वांग को होली थेटर भी कहते हैं। स्वांग में महिलाएं पुरुष चरित्रों को प्रमुखता से उठाती हैं। नैनीताल में विगत 30 सालों से महिला स्वांग होली को समर्पित पार्वती बिष्ट कहती हैं कि स्वांग में मुख्यत: वर्तमान समय की समस्याओं को व्यंग्य व चरित्रों के माध्यम से पेश किया जाता है। इस समय बाबा रामदेव, अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा, लालू यादव, सोनिया गांधी, अमिताभ बच्चन, ओसामा बिन लादेन के चरित्र बेहद लोकप्रिय हैं। पार्वती बिष्ट के अनुसार युवा पीढ़ी का स्वांग के प्रति रुझान न होना चिंता का विषय है।
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