Saturday, 7 March 2009
बयां की आंदोलनकारियों की पीड़ा
मसूरी, सीबीआई के मुकदमे झेल चुके राज्य आंदोलनकारियोंकी पीड़ा को व्यक्त करते हुए युवा कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष रविंद्र जुगरान ने इस मसले पर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को जमकर कोसा। उन्होंने कहा कि राज्य बनने के बाद भी इन आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण और सम्मान न किया जाना बड़ी भूल रही। अब भाजपा सरकार ने इन्हें आर्थिक सहायता दी है। इन्हें अन्य सुविधाएं भी दी जाएंगी। राज्य आंदोलन के दौरान सीबीआई के मुकदमों में निरुद्ध आंदोलनकारियों की ओर से लाइब्रेरी स्थित एक होटल में आयोजित श्री जुगरान के अभिनंदन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को हरसंभव सहायता व सम्मान दिया जाएगा। श्री जुगरान ने कहा कि सीबीआई मुकदमे झेलने वाले आंदोलनकारियों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ा। दस वर्ष तक इन्होंने मुकदमे झेले। पूर्ववर्ती सरकारों ने इनकी पीड़ा नहीं समझी। भाजपा सरकार इन आंदोलनकारियों को आर्थिक सहायता दे रही है। इन्हें क्षतिजि आरक्षण व अन्य सुविधा दिए जाने पर भी गंभीरता से प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मसूरी गोलीकांड के बाद राज्य की लड़ाई तेज हुई है। यहां के हर आंदोलनकारी को सम्मान के दायरे में आना चाहिए। उन्होंने राज्य आंदोलन के दौरान के पत्रकारों को आंदोलनकारियों की श्रेणी में शामिल करने व उन्हें सम्मान देने पर जोर दिया। महिला आंदोलनकारी सुभाषिनी बत्र्वाल ने कहा कि मसूरी का राज्य आंदोलन में अभूतपूर्व योगदान रहा। यहां के छह लोगों ने प्राणों की आहुति दी। 1994 के आंदोलन में तत्कालीन समय में पत्रकारिता कर रहे सभी पत्रकारों का राज्य आंदोलनकारियों की श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए। कार्यक्रम में राजीव तलवार, सीबीआई के मुकदमे झेलने वाले स्व. कलम सिंह रावत के परिजन, डा. हरिमोहन गोयल, देवेंद्र मित्तल, हुकुम सिंह रावत, राजेंद्र सिंह पंवार, प्रताप सिंह कैंतुरा, शूरवीर सिंह गुनसोला के अलावा भाजपा नेता व आंदोलनकारी राधेश्याम तायल आदि शामिल थे।
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