Saturday, 7 March 2009
विश्व को जोड़ेगी वसुधैव कुटुंबकम् की भावना
ऋषिकेश, : उत्तराखंड के राज्यपाल बीएल जोशी ने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम् की भावना ही विश्व को एक सूत्र में पिरो सकती है। परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के समापन दिवस की संध्या पर राज्यपाल श्री जोशी ने अपनी धर्मपत्नी के साथ गंगा आरती में शामिल होते हुए योग साधकों का मार्गदर्शन किया। राज्यपाल ने कहा कि भारत ने समूचे विश्व को वसुधैव कुटुंबकम् की भावना दी है। आगे भी यह भावना बनी रहे, इसके लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने योग और अध्यात्म के जरिये विश्व का मार्गदर्शन किया है। विभिन्न देशों से आए योग साधकों को अराजकता की समाप्ति व शांति का संदेश लेकर यहां से जाना चाहिए। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनि महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति सबको अपनापन देती है। यहां भाषा, बोली में भिन्नता होने के बावजूद समाज एकता का संदेश देता आया है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति हमें गंगा से मिली है। आज विश्व के लोग शांति के लिए भटक रहे हैं, जबकि शांति स्वयं मनुष्य के अंदर विद्यमान है। जरूरत है एकाग्र मन से उसे अपने भीतर तलाश करने की। पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि गंगा ने विश्व को मानवता का संदेश दिया है। सांस्कृतिक परंपरा का विकास गंगा से हुआ है। गंगा सबको जीने की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि विद्यालयी शिक्षा में प्राथमिक वर्ग में योग विषय पाठ्यक्रम में शामिल होना चाहिए।
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