Monday, 9 March 2009
गुरुजी भी होगे पास औऱ फेल
देहरादून: पांचवीं व आठवीं की सार्वजनिक परीक्षा के नतीजे छात्र-छात्राओं के प्रदर्शन को तो आंकेंगे ही, गुरुजी का पास या फेल होना भी तय करेंगे। फेल होने वाले शिक्षकों को बख्शा नहीं जाएगा। रिजल्ट पर शासन निगाहें गड़ाए हुए है। केंद्रीय वेतनमान की खुमारी में अब तक झूम रहे गुरुजी का अचीवमेंट लेवल पांचवीं व आठवीं की परीक्षा तय करेंगी। गृह परीक्षा कार्यक्रम में तब्दीली और इसके लिए नए सत्र को आगे खिसकाकर शासन ने भी अपना इरादा जाहिर कर दिया है। प्राइमरी व अपर प्राइमरी शिक्षा में अभी तक गुणवत्ता नदारद है। यह बात विभिन्न सर्वे में जाहिर भी हो चुकी है। इन दोनों ही कक्षाओं के विद्यार्थियों की तादाद बोर्ड के हाईस्कूल व इंटर के परीक्षार्थियों से कई गुना ज्यादा है। महकमा अभी तक रिजल्ट के आधार पर शिक्षकों के मूल्यांकन की बात कहता रहा है पर अमल नहीं किया गया है। इस बारे में शासनादेश के रूप में साफ निर्देश नहीं रहे। अब केंद्रीय वेतनमान के शासनादेश में शिक्षकों की जवाबदेही का बाकायदा उल्लेख है। उच्च वेतनमान देने से पहले उनके कामकाज को परखा जाएगा। आदेश के कई पैरा निर्देशों से ही संबंधित हैं। इन निर्देशों का उल्लंघन करना आसान नहीं होगा। शिक्षा सचिव डा. राकेश कुमार के मुताबिक सरकार शिक्षकों को उनकी मांग के मुताबिक केंद्रीय वेतनमान दे चुकी है। लेकिन अब उन्हें भी अपनी जिम्मेदारी पर खरा उतरना होगा। पांचवीं व आठवीं की परीक्षा से ब्लाकवार शिक्षा की गुणवत्ता का आकलन होगा। इससे शिक्षकों का अचीवमेंट लेवल भी पता चल जाएगा। बच्चों में लर्निग गैप की सही तस्वीर सामने आएगी। सचिव के मुताबिक उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन संकुल स्तर पर होगा। जांच कार्य चलताऊ ढंग से नहीं किया जाएगा। पांचवीं कक्षा में हिंदी, गणित, सामाजिक विज्ञान और आठवीं कक्षा में अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व सामाजिक अध्ययन के पेपर में विद्यार्थियों के विषय ज्ञान का पता चलेगा। इसे शिक्षकों के प्रदर्शन से जोड़ा जाएगा।
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