Monday, 2 March 2009

भट्ट ने उठाया गठबंधन धर्म निभाने का बीड़ा!

देहरादून सूबे की सत्ता में भागीदार उत्तराखंड क्रांति दल लोकसभा चुनाव में भाजपा से दो-दो हाथ करने को तैयार है। दल के विधायक सदन में सरकार को घेर रहे हैं तो कार्यकर्ता सरेआम भाजपा और सरकार पर प्रहार कर रहे हैं। ऐसे में उक्रांद कोटे से काबीना मंत्री दिवाकर भट्ट अकेले ही गठबंधन धर्म निभा रहे हैं। शायद यही कारण है कि पार्टी के भारी दबाव के बाद भी वे पौड़ी लोस सीट से चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हुए। पहले बात विरोध और गठबंधन धर्म निभाने की। उक्रांद कार्यकर्ताओं का सीधा आरोप है कि भाजपा बड़ा दल होने के नाते इस धर्म का पालन नहीं कर रही है। मुद्दों के आधार पर भाजपा का समर्थन करने वाले क्षेत्रीय दल उक्रांद का लगता है अब मोहभंग हो रहा है। कार्यकर्ता साफ कहते घूम रहे हैं कि सत्ता में भागीदारी से दल को खासा नुकसान हो रहा है। दल के हर सम्मेलन में कार्यकर्ता इस समर्थन का मुद्दा उठाते हैं पर उनकी बात नक्कारखाने में तूती की आवाज की तरह दब जाती है। अब कार्यकर्ता और तमाम पदाधिकारी मीडिया के माध्यम से अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं। शुक्रवार को विधानसभा में उक्रांद के विधायक पुष्पेश त्रिपाठी ने वेल में जाकर यह दिखाया कि कि सत्ता में साथ रहते हुए भी सरकार के विरोध में किस हद तक जाया जा सकता है। अब सवाल आता है गठबंधन धर्म निभाने का। लग रहा है कि उक्रांद की तरफ से इस काम का पूरा जिम्मा काबीना मंत्री दिवाकर भट्ट ने उठा रखा है। पार्टी ने सभी पांच सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया। श्री भट्ट को पहले तो हरिद्वार से मैदान में उतारने का निर्णय लिया गया। बाद में तय किया गया कि उन्हें पौड़ी सीट से प्रत्याशी बनाया जाए। उक्रांद की सोच थी कि मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा से जुड़ी इस सीट के जरिए ही भाजपा पर हमलावर हुआ जाए। दल के कार्यकर्ताओं ने चुनाव के लिए श्री भट्ट पर खासा दबाव बनाया। तर्क दिया गया कि भाजपा के दो मंत्री चुनाव लड़ रहे हैं। उक्रांद का भी एक मंत्री मैदान में उतरेगा तो चुनाव में सत्ता का कुछ तो फायदा मिलेगा। लाख कोशिशें की गईं पर दिवाकर ने चुनाव लड़ने से साफ इंकार कर दिया। उक्रांद को मजबूरन किसी और को प्रत्याशी बनाना पड़ा। इससे पहले भी उक्रांद कार्यकर्ता और विधायक सत्ता में भागीदारी के बाद भी सरकार पर तोहमत लगाते रहे पर काबीना मंत्री ने आज तक कुछ नहीं कहा। उक्रांद के सबसे अहम मुद्दे राजधानी गैरसैण के बारे में श्री भट्ट यही कहते रहे जिस दिन उक्रांद के 36 विधायक हो जाएंगे, उस दिन राजधानी खुद ही गैरसैण चली जाएगी। जाहिर है कि भाजपा के साथ उक्रांद का गठबंधन धर्म निभाने का बीड़ा इस समय अकेले श्री भट्ट ने ही उठा रखा है।

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