Monday, 2 March 2009

बदरी-केदार की भूमि मे मुस्कराई देवियां

देहरादून यत्र नार्यस्तु पूजयंते, रमंते तत्र देवता यानि जहां महिलाओं का सम्मान होता है, वहां स्वयं देवता निवास करते हैं। यह बात देवभूमि के चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों पर खरी उतरती है। दूषित हवाओं ने स्वच्छ पहाड़ों को भी मैला करना शुरू कर दिया है। महिलाओं पर अत्याचार और उत्पीड़न के मामले में पहाड़ी जिले भी मैदानों से होड़ लेते दिखायी दे रहे हैं। ऐसे में ये दो जिले पहाड़ की परंपराओं को जीवित रख महिलाओं का सम्मान बरकरार रखे हुए हैं। आमतौर पर शांत माने जाने वाले पहाड़ों पर अपराधों की दर न्यूनतम ही थी, लेकिन बीते कुछ वर्षो में यहां भी अपराधों की संख्या बढ़ने लगी है। विशेषकर महिला उत्पीड़न के मामलों में खासा इजाफा हुआ है। आंकड़ों पर गौर करें तो देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल इनमें सबसे आगे हैं। हां, चमोली और रुद्रप्रयाग के बारे में कहा जा सकता है कि यहां औरत का सम्मान बचा हुआ है। सवा तीन सालों के आंकड़ों को सामने रखें तो चमोली में महिला हत्या की कोई घटना नहीं हुई, जबकि रुद्रप्रयाग में यह संख्या दो रही। इसी प्रकार बलात्कार की चमोली में पांच, रुद्रप्रयाग में दो, लज्जाभंग की चमोली में चार और रुद्रप्रयाग में दो, अपहरण की चमोली में दो, रुद्रप्रयाग में कोई नहीं, छेड़खानी की रुद्रप्रयाग में एक, दहेज हत्या की चमोली में चार, रुद्रप्रयाग में दो, दहेज उत्पीड़न की चमोली में पांच और रुद्रप्रयाग में केवल तीन घटनाएं हुईं। चमोली और रुद्रप्रयाग में महिलाओं के साथ हुए अपराध के इन आंकड़ों की तुलना अगर मैदानी हिस्सों वाले जिलों के साथ करें तो अंतर जमीन आसमान का नजर आएगा। जबकि, पहाड़ के अन्य जिलों में भी महिलाओं के लिए स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है। अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। पुलिस मुख्यालय के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक 2006 में अलग-अलग धाराओं में महिलाओं के साथ होने वाले कुल 1077 मुकदमे दर्ज किए गए थे। इसकी संख्या 2007 में 1136 हुई और 2008 में बढ़कर 1304 हो गई। जबकि, इस वर्ष के शुरुआती डेढ़ महीनों में ही इनकी संख्या 117 हो चुकी है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक चमोली और रुद्रप्रयाग में अभी महिलाओं का पुराना रुतबा बरकरार है। आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों में उनकी प्रमुख भूमिका बनी रहने के चलते उनके साथ होने वाले अपराधों की संख्या कम है।

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