Monday, 2 March 2009
बाघों के संरक्षण को विश्र्व बैंक आगे आया
, रामनगर: विश्र्व में बाघों की घटती संख्या से चिन्तित हो विश्र्व बैंक ने उनके संरक्षण के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसी क्रम में विश्र्व बैंक का चार सदस्यीय दल शनिवार को कार्बेट नेशनल पार्क का भ्रमण किया। दल ने यह जानने का प्रयास कि बाघों की सुरक्षा एवं उनके संरक्षण के लिए अधिकारियों एवं वन कर्मियों द्वारा क्या प्रयास किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि बाघों की सुरक्षा के लिए विश्र्व बैंक ने भारत में उत्तराखंड एवं कर्नाटक दो राज्यों का चयन किया है। भ्रमण से पूर्व दल के सदस्यों ने मुख्य सचिव उत्तराखंड इन्दु कुमार पांडे की अध्यक्षता में बाघों की सुरक्षा को लेकर बैठक की। बैठक में यह निष्कर्ष निकला कि संरक्षित क्षेत्रों में बाघों को बचाए जाने की नितांत आवश्यकता है। बैठक में विश्र्व बैंक के सदस्यों एवं वनाधिकारियों की बैठक में यमुना नदी से शारदा नदी तक फैले क्षेत्रों बाघों के संरक्षण पर विचार विमर्श किया गया। बाघों की सुरक्षा के लिए आए चार सदस्यीय दल ने कार्बेट नेशनल पार्क में किए जा रहे कार्यो का नजदीकी से न केवल अध्ययन किया बल्कि अपने सुझाव भी दिए। उल्लेखनीय है कि पूरे विश्र्व में बाघों की कुल नौ प्रजातियां थी। इसमें अब केवल पांच ही प्रजातियां बची है। इन्हें बचाए जाने की कवायद विश्र्व बैंक द्वारा शुरू की गई है। चार सदस्यीय दल ने अपने इस अभियान को कर्नाटक के साथ ही उत्तराखंड में भी चलाने की इच्छा जताई है। दल ने कालागढ़ में बने वन्य जीव प्रशिक्षण संस्थान भी देखा। दल में बाघों के विशेषज्ञ जॉन साइडेस स्टेकर, आन्धे्र केसिविल, डा. अनुप जोशी, कुमार राघवेन्द्र सिंह शामिल थे। सीटीआर भ्रमण में उनके साथ मुख्य संरक्षक वित्त दिग्विजय सिंह खाती, वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त एवं कार्यकारी निदेशक कपिल जोशी, पार्क वार्डन डीएस रावत, प्रभागीय वनाधिकारी पराग मधुकर धकाते, रवीन्द्र जुयाल, पीके पात्रों विवेक पांडे आदि वनाधिकारी मौजूद थे। रामनगर के बाद दल नेपाल के लिए रवाना हुआ है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment