Monday, 20 July 2009

=नाखूनों के बूते ईजाद की नई कला

न ब्रश की जरूरत, न महंगे कैनवास की, नाखून से उभर आती हैं कागज पर आकृतियां उत्तराखंड के रजनीश के पास है 'नेल आर्ट' का गजब का हुनर इस कला में नेत्रहीन भी सहजता से उकेर सकते हैं मन के भाव बगैर पैसे के सीखा जा सकता है यह हुनर, रजनीश के पास है सात सौ चित्रों का कलेक्शन देहरादून कहते हैं चित्रकारी बड़ा महंगा शौक है, लेकिन रजनीश का हुनर देखकर तो ऐसा नहीं लगता। न ब्रश की जरूरत और न महंगे कैनवास की। जेब खाली हो, इसकी भी फिक्र नहीं। बस! आपके नाखून सलामत रहें, वे भी अंगूठे के। फिर तो कहने ही क्या, आकृतियां खुद-ब-खुद कागज पर उभरती चली जाएंगी। चित्रकारी की यह ऐसी विधा है, जिसे छूकर भी महसूस किया जा सकता है। इस हुनर को सीखकर नेत्रहीन भी बखूबी अपनी भावनाओं का इजहार कर सकते हैं। रजनीश ने चित्रकारी की इस विधा को नाम दिया है-'नेल आर्ट'। मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी जनपद की लैंसडौन तहसील के लंंगूरी गांव निवासी रजनीश डोबरियाल को रंगों से खेलने का शौक बचपन से ही रहा। इसके लिए उन्हें कई राज्यस्तरीय पुरस्कार भी मिले। अचानक उनके जीवन में बदलाव आया और वे 'नेल आर्टिस्ट' बन बैठे। बकौल रजनीश, 'एक दिन मैं नाखून से सादे कागज पर रेखाएं खींच रहा था, अचानक लगा कि कुछ आकृतियां उभर रही हैं। फिर तो इसमें इंट्रेस्ट आने लगा और धीरे-धीरे इसने मेरे जीवन की धारा ही बदल दी।' वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस सोसाइटी (लखनऊ) में कार्यरत रजनीश अब तक सात सौ के आसपास चित्र नेल आर्ट के माध्यम से बना चुके हैं। 'ú' को ही उन्होंने 151 तरीके से चित्रित किया है। रजनीश बताते हैं कि जरूरत के हिसाब से वे कुछ चित्रों में रंग भी भर देते हैं। रजनीश के अनुसार नेल आर्ट की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे नेत्रहीन भी महसूस कर सकते हैं। यही नहीं, वे अपने मन के भावों को सरलता एवं सहजता से कागज पर भी उकेर सकते हैं। इसीलिए वे नेल आर्ट को ब्रेल आर्ट की संज्ञा भी देते हैं। वे कहते हैं नेल आर्ट में महारथ हासिल कर नेत्रहीन अपने जीवन में रंग भर सकते हैं। रजनीश ने बताया कि अब तक वे अपनी कला का प्रदर्शन दूरदर्शन, जी न्यूज, एस-1, जन संदेश, ई-टीवी आदि टीवी चैनलों पर भी कर चुके हैं। अब उनकी तमन्ना 'लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकाड््र्स' और 'गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकाड््र्स' में नाम दर्ज कराने की है। रजनीश कहते हैं कि नेल आर्ट ऐसा हुनर है, जिसे कोई भी बगैर पैसे के सीख सकता है।

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