Monday, 20 July 2009
-पैरामेडिकल डिग्री दिलाएगी सरकारी नौकरी
-पैरामेडिकल काउंसिल: खुलेगा प्राइवेट प्रेक्टिस का रास्ता
-मानकों से कन्नी काटी तो कालेज भुगतेंगे दंड
-कई राज्यों के छात्र-छात्राएं ले रहे हैं हर साल दाखिला
-डेढ़ दर्जन से ज्यादा कालेजों को भी मिलेगी राहत
, देहरादून
उत्तराखंड में पैरामेडिकल के डिग्री कोर्सेज की पढ़ाई कर रहे स्थानीय और कई राज्यों के हजारों छात्र-छात्राओं की बल्ले-बल्ले होगी। सरकारी नौकरी के लिए अभी तक बंद दरवाजे उनके लिए खुल जाएंगे। यही नहीं, प्राइवेट पैरामेडिकल कालेजों ने मानकों से कन्नी काटी या मनमानी की तो उन्हें दंड भुगतना पड़ेगा।
राज्य में पैरामेडिकल काउंसिल के गठन की कवायद जल्द परवान चढऩे को है। इस बाबत विधेयक विधानसभा में पेश किया जा चुका है। उत्तराखंड बनने के बाद पैरामेडिकल कालेजों की तादाद बेतहाशा बढ़ी है। अधिकतर कालेज दून में हैं। काउंसिल की जरूरत लंबे अरसे से महसूस की जा रही है। पैरामेडिकल के डिप्लोमास्तरीयकोर्स तो सरकारी नौकरी के लिए मान्य हैं, लेकिन पैरामेडिकल डिग्रीधारकों को रजिस्ट्रेशन के बगैर सरकारी नौकरी पाने में तो कठिनाई हो रही है, प्राइवेट प्रेक्टिस की मान्यता में भी पेच फंसा है। काउंसिल के गठन के बाद डिग्री कोर्स के रजिस्ट्रेशन में दिक्कतें नहीं आएंगी। सरकारी नौकरी के लिए भी ये डिग्री मान्य होंगी। रजिस्ट्रेशन के बाद डिग्रीधारक प्राइवेट प्रेक्टिस के पात्र भी होंगे।
काउंसिल गठित होने से सूबे के तकरीबन डेढ़ दर्जन से ज्यादा कालेजों और उनमें पढऩे वाले हजारों छात्र-छात्राओं को सीधे फायदा मिलेगा। अस्पतालों, पैथोलौजी लैब, फीजियोथेरेपी सेंटर आदि का इजाफा होने के साथ ही इन पैरामेडिकल कोर्सेज की मांग बढ़ रही है। राज्य के करीब 20 पैरामेडिकल संस्थानों में तीन हजार से ज्यादा विद्यार्थी हैं। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों के छात्र-छात्राएं पैरामेडिकल के डिग्री कोर्सेज के लिए हर साल उत्तराखंड का रुख कर रहे हैं। काउंसिल बनने से कालेजों के लिए भी मानकों से मुंह चुराना और छात्र-छात्राओं से मनमानी करना आसान नहीं रहेगा। ऐसे संस्थानों के लिए दंड का प्रावधान है। काउंसिल में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष समेत हर कोर्स का एक-एक फैकल्टी मेंबर, तीन पैरामेडिकल कालेजों के प्रतिनिधि, विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि, वित्त विभाग का उप सचिव स्तर का एक अधिकारी समेत तकरीबन दो दर्जन सदस्य होंगे। फिलवक्तकाउंसिल में तीन कोर्स रेडियोलाजी, फीजियोथेरेपी व लैब टेक्नोलाजी के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था रहेगी। प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत के मुताबिक विधेयक पारित होने के बाद काउंसिल के जल्द गठन का रास्ता साफ होगा। संपर्क करने पर चिकित्सा शिक्षा सचिव डा. राकेश कुमार ने बताया कि काउंसिल गठन होने के बाद उसके विनियम बनाए जाएंगे। इसमें अन्य पैरामेडिकल कोर्सेज के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान किया जाएगा।
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