Saturday, 11 July 2009
एक गांव, जो मिसाल बना देश के लिए
-टिहरी के गेंवाली गांव में आठ साल में पहली बार गई बिजली
-2001 में ग्रामीणों ने स्वयं की मेहनत से तैयार की थी परियोजना
-मौसम की मार से पानी की कमी के चलते ठप हुई विद्युत परियोजना
नई टिहरी
जनपद के सीमांत गांव गेंवाली के ग्रामीणों की मेहनत पर मौसम की मार भारी पड़ी है। ग्रामीणों का अपनी मेहनत से बनाया हुआ 25 किलोवाट क्षमता की विद्युत परियोजना बेहतर ढंग से काम कर रही थी और लगातार आठ साल तक इसके जरिए यह गांव रोशन रहा, लेकिन इस बार गदेरे (पहाड़ी नदी) में पानी कम होने के कारण परियोजना से विद्युत उत्पादन ठप हो गया। इसके चलते पिछले छह माह से दूसरे गांवों के लिए मिसाल बना रहा यह गांव अंधेरे में डूबा हुआ है।
नई टिहरी मुख्यालय से 85 किमी दूर स्थित गेंवाली गांव के लोगों को सड़क से गांव तक पहुंचने के लिए 15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। यही कारण है कि अभी तक इस गांव में विद्युतीकरण नहीं हो पाया। दूसरे सीमांत गांवों की तरह बिजली के लिए सरकार की राह तकने की बजाय भिलंगना प्रखंड के गेंवाली गांव के लोगों ने खुद की मेहनत पर भरोसा जताया। इसके तहत ग्रामीणों ने साठ घरों वाले अपने गांव को रोशन करने का मन बनाया और 2001 में कड़ी मेहनत के बल पर 25 किलोवाट की विद्युत परियोजना का निर्माण कर लिया। इस परियोजना के लिए दिल्ली स्थित फोराल्ड नामक संस्था ने सहयोग दिया था। परियोजना में बिजली उत्पादन शुरू होने के बाद लकड़ी के खंभों से लाइन डालकर गांव तक बिजली पहुंचाई गई। इसके बाद से इस गांव ने आठ साल में एक भी रात अंधेरे में नहीं गुजारी। गांव के प्रत्येक घर में इस परियोजना की बदौलत चार बल्ब तो जले ही, अधिकांश परिवार टेलीविजन से भी जुड़े।
परियोजना की सफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आठ साल में एक भी दिन पावर कट नहीं हुआ, लेकिन इस बार मौसम की बेरुखी की मार ने परियोजना को नजर लगा दी। गदेरे में पानी कम होने के कारण करीब छह माह पूर्व विद्युत उत्पादन ठप्प हो गया। तब से गांव अंधेरे में डूबा हुआ है। घने बांज, बुरांश के जंगलों से घिरे इस गांव की ओर इस बार बादलों ने अब तक इस ओर रुख ही नहीं किया है। ग्रामीण नारायण सिंह का कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ कि क्षेत्र में साल भर से बारिश नहीं हुई। साथ ही सर्दियों में बर्फ भी नहीं पड़ी। इसके कारण गांव में बहने वाले गदेरों में पानी कम हो गया है। परियोजना का कार्य देख रहे वीर सिंह राणा का कहना है कि परियोजना बनने के बाद आठ साल में पहली बार ग्रामीणों को अंधेरे में रहना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि परियोजना को दोबारा शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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पचास रुपये में मिलती थी बिजली
नई टिहरी: दो साल की अथक मेहनत के बाद तैयार हुई परियोजना के संचालन के लिए ग्रामीणों ने पंचायत समिति गेंवाली का गठन किया था। परियोजना के रखरखाव के लिए प्रति परिवार हर माह 50 रुपये शुल्क लिया जाता था। गांव के ही एक व्यक्ति को परियोजना के रखरखाव के लिए पूर्णकालिक तैनाती दी गई थी। अन्य गांवों में जहां बिजली की आंखमिचौनी व भारी भरकम बिलों से उपभोक्ता परेशान रहते हैं, वहीं यह गांव स्वावलंबन के मामले में मिसाल था।
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Its really amazing. Kudos to the villagers
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