Thursday, 2 July 2009

बेहतर पहल

उत्तराखंड के नये मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट लागू करने के लिए समिति गठित करने के निर्देश देकर प्रशासनिक व्यवस्था बेहतर करने की एक अच्छी पहल की है। राज्य में लंबे समय से इसकी जरूरत महसूस की जा रही थी। नौकरशाह नियंत्रण से परे होते जा रहे थे। इस तरह के कई ऐसे उदाहरण सामने भी आये। वस्तुत: प्रशासन सरकार का एक अहम हिस्सा है। सरकार जनहित के लिए अच्छी से अच्छी योजनाएं तैयार कर सकती है, बेहतर पहल कर सकती है, लेकिन इन योजनाओं को लागू करने का दायित्व तो प्रशासन के पास ही होता है। अगर ये कारगर तरीके से लागू न की गयीं तो उद्देश्यहीन हो जाती हैं। जाहिर है कि प्रशासन पर शासन की अच्छी पकड़ होनी चाहिए। अगर नौकरशाह बेलगाम हो गये तो निश्चित रूप से बड़ी से बड़ी योजनाओं का बेड़ा गर्क हो जाता है। नये मुख्यमंत्री इस बात से बखूबी परिचित हैं। शायद यही कारण है कि उन्होंने शासन की इस बुनियादी जरूरत पर सबसे पहले ध्यान दिया। नौकरशाहों के प्रति सख्त रुख का इजहार कर उन्होंने यही संकेत देने का प्रयास किया है कि अधिकारियों को अपने दायित्व के प्रति जिम्मेदार बनना होगा। अगर कोई अधिकारी इससे विमुख होता है तो उसके विरुद्ध शासन भी सख्त होगा। व्यवस्था के लिए सख्त होना आवश्यक होता है। दरअसल अगर शासन ढीला हुआ तो नौकरशाह वर्ग में यह संदेश चला जाता है कि उनकी किसी के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है। वे जो चाहें करने के लिए स्वतंत्र हैं। बस यहीं से अव्यवस्था का जन्म होता है। प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट आये काफी समय हो गया, लेकिन इसका सही परिप्रेक्ष्य में क्रियान्वयन नहीं हो सका। अगर प्रशासन की कार्य संस्कृति में बदलाव लाना है तो इसे लागू करना ही होगा। तभी प्रशासन भी समझा सकेगा कि उसे आगे किस प्रणाली से कार्य करना है। इसका उद्देश्य प्रशासन को कमजोर करना नहीं बल्कि उसे और प्रभावी बनाना है। हां, इसकी कार्यप्रणाली अवश्य भिन्न हो सकती है। अधिकारी वर्ग को नये मुख्यमंत्री के इस संकेत को समझाना चाहिए और अपनी कार्यप्रणाली में समय की जरूरत के मद्देनजर बदलाव लाना चाहिए ताकि उनका गौरव भी सुरक्षित रहे और राज्य भी विकास के पथ पर अग्र्रसर हो।

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