Thursday, 30 July 2009
सुधरेगी तकनीकी शिक्षा
प्रदेश के सरकारी तकनीकी शिक्षण संस्थानों में फैकल्टी की नियुक्ति को सरकार गंभीर नजर आ रही है।
इसे तकनीकी शिक्षा के स्तर उन्नयन के लिए अच्छा संकेत माना जा सकता है। दूरदराज व पर्वतीय क्षेत्रों में फैकल्टी नियुक्ति में सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। तकनीकी प्रशिक्षितों को सुविधाजनक क्षेत्रों में ही रोजगार के अच्छे अवसर मुहैया हो रहे हैं। ऐसे में दूरदराज जाने में उनकी अपेक्षाकृत कम रुचि होना लाजिमी है। यही वजह है कि पौड़ी व अल्मोड़ा जिलों के दो सरकारी इंजीनियरिंग कालेजों में फैकल्टी भर्ती के लिए कई बार रिक्त पद विज्ञापित किए जा चुके हैं। इसके बावजूद पात्र लोगों का मिलना मुमकिन नहीं हो पा रहा है। अब यह जरूरी है कि तकनीशियनों, प्रशिक्षित, उच्च शिक्षित फैकल्टी व शिक्षाविदों को दूरस्थ क्षेत्रों का रुख करने के लिए नीति नियोजन में बदलाव किया जाए। अन्यथा सरकार के स्तर पर सामाजिक जिम्मेदारी के तौर पर दुर्गम क्षेत्रों में मुहैया कराई जा रही शिक्षा का स्तर बनाने की चुनौती हमेशा कायम रहेगी। यह भी देखने में आ रहा है कि संस्थानों में गुणवत्तापरक शिक्षा व प्रशासन का बेहतर माहौल बनाने में स्थानीय राजनीतिक हस्तक्षेप की शिकायतें बढ़ रही हैं। सरकार को क्षेत्रीय आकांक्षाओं का सम्मान तो करना है, लेकिन इसकी आड़ में गुणवत्ता से कतई समझाौता नहीं किया जाना चाहिए। वैश्विक प्रतिस्पर्धा और मौजूदा मंदी के दौर में यह साफ हो चुका है कि तकनीकी शिक्षा में कार्यकुशलता का हरसंभव विकास होना चाहिए। इससे समझाौता नहीं किया जाना चाहिए। इंजीनियरिंग कालेजों के साथ पालीटेक्निकोंमें भी कर्मशाला अनुदेशकों व लेक्चरर के रिक्त पदों पर भर्ती के रास्ते पर पांव आगे बढऩे से सूबे को अगले वर्षों में अच्छे तकनीशियन मिलने की उम्मीद बलवती हुई है। राज्य में नव स्थापित उद्योगों को भी कुशल तकनीशियन मिल सकेंगे। तकनीकी शिक्षा में पिछड़े मानव संसाधन को कामयाब प्रशिक्षित बनाने के लिए अभी ज्यादा ईमानदार कदम उठाने की दरकार है।
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