Saturday, 25 July 2009
'टाई मैच' में निशंक और हरक निखरे
-विस अध्यक्ष हरबंस कपूर की कोशिश भी रंग लाई
-नई टीम में पुराने खिलाड़ी प्रकाश पंत संभालते रहे पारी
-बिखरी रही बसपा की टीम, सुर-ताल में नहीं दिखा उक्रांद
-युवा विधायकों ने दिखाए तेवर, होमवर्क की कमी दिखी
देहरादून: बदले सियासी हालात में 'टीम निशंक' ने विधानसभा के बजट सत्र की पारी में मिला-जुला प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने अपनी सूझाबूझा, प्रतिभा तथा संसदीय क्षमता का बखूबी परिचय दिया तो नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत ने सरकार को जनता के पैमाने पर कसने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर की कोशिश से सदन में नई परिपाटी प्रारम्भ हुई। सदन में बसपा बंटी रही, जबकि उक्रांद सदस्य पूरे रंग में नहीं दिखे। संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत नाजुक मौके पर पारी को संभालने की स्थिति में ही रहे। यह जरूर है कि कई मौकों पर सदस्यों संसदीय परंपराओं को नजरअंदाज भी किया गया।
विधानसभा का बजट सत्र दस दिन चला। आखिर के दो दिन छोड़ दें तो सत्र ठीकठाक ढंग से चला। मौसम की तरह बदलती सियासत तथा लोकसभा चुनाव की छाया सत्र में पूरी तरह दिखाई दी। मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक का बजट की तैयारी का होमवर्क शानदार रहा। डा. निशंक की हालांकि सदन में मौजूदगी कम रही पर जिस तरह सवालों पर उनका स्पष्टीकरण आया, उससे विपक्ष के सदस्य भी बगलें झाांकते नजर आए। विरोधियों के हर तीर का सम्मान और सधा हुआ जवाब देकर सीएम ने इस पहली परीक्षा में बेहतर परफार्मेंस दी।
नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत का पौने तीन घंटे का बजट भाषण इतना रोचक रहा कि सदन में सत्तापक्ष के लोग हंसते भी रहे और फंसते भी रहे। राज्य के सम-सामयिक विषयों पर अपना दृष्टिकोण ठोस तर्कों के साथ प्रस्तुत किया। नेता प्रतिपक्ष ने हर विषय की गंभीरता से सरकार को आगाह करने के साथ ही मार्गदर्शक के रूप में विपक्ष की भूमिका में खरा उतरने का प्रयास किया। बसपा के विधायक जरूर 'आत्मघाती गोल' करते रहे। जब बसपा कोई मुद्दा उठाती तो दो विधायक काजी निजामुद्दीन व चौधरी यशवीर के सुर बिलकुल अलग हो जाते। इससे बसपा की स्थिति सदन में असहज बनी रही। उक्रांद के दो विधायकों ने सदन में अनेक मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त की। एक विधायक तो विपक्ष के साथ वेल तक में घूम आए। इसके बाद भी उक्रांद कोटे के मंत्री दिवाकर भट्ट रंग में नहीं दिखें।
विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर ने नियम-310 की परिपाटी में बदलाव कर सदस्यों को बड़ी सुविधा दी। सभी सदस्यों को अपनी बात कहने का पर्याप्त समय ही नहीं दिया, बल्कि सदन के बेहतर संचालन में पूरी कार्यकुशलता दिखाई। युवा विधायकों को भी भरपूर मौके मिले। सत्तारूढ़ दल भाजपा में संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने समय-समय पर सूझाबूझा दिखाई। लडख़ड़ाती पारी को संभालने की कोशिश में उन्हें काफी ताकत लगानी पड़ी। सवालों पर घिरे मंत्रियों ने फिर साबित किया कि उन्हें होमवर्क करने की आदत ही नहीं है। नए मंत्रियों में गोविंद सिंह बिष्ट की परफार्मेंस बेहतर रही।
कुल मिलाकर दस दिन सदन ठीक चला। दो दिन हंगामे के चलते कार्यवाही बाधित हुई। विपक्ष ने दबाव बनाने की कोशिश में सदन में सरकार को घेरने का मौका हाथ से जाने दिया। हां, एक विधायक को धमकी के मसले पर ही सदन का दो दिन तक बाधित रहना कई सवालों को जन्म दे गया।
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