Monday, 6 July 2009
अग्नि वृक्ष' के विरुद्ध शंखनाद
-पौड़ी गढ़वाल जनपद के बीरोंखाल ब्लाक से शुरू हुआ अभियान
-नंदाखेत के पूर्व सैनिक रमेशचंद्र बौड़ाई कर रहे अगुवाई
-पंचायतें ले रहीं चीड़ का वृक्षारोपण न करने का संकल्प
उत्तराखंड में कराहते जंगल सहायता के लिए पुकार रहे हैं। उनकी करुण पुकार सुनने का वक्त आ गया है। कहीं ऐसा न हो कि हमें पालने-पोषने वाले पेड़ों की प्रजातियां खत्म हो जाएं और प्रकृति की यह सुरम्य वाटिका देखने व रहने लायक ही न रहे। यह चिंता किसी पर्यावरणविद् की नहीं, बल्कि सूबे के आम ग्रामीणों की है। जंगलों में दावानल की मुख्य वजह बन रहे चीड़ के खिलाफ अब वे लामबंद होने लगे हैं और इसकी शुरुआत हुई है पौड़ी गढ़वाल जनपद के बीरोंखाल ब्लाक से। यह मुहिम रंग भी लाने लगी है।
गंगा-यमुना का मायका जो कभी बांज, बुरांश, काफल, देवदार आदि के वृक्षों से लकदक था, आज वहां चीड़ का जंगल पसर गया है। यही चीड़ उत्तराखंड के जंगलों के लिए 'अग्नि वृक्ष' साबित हो रहा है। हर साल अग्नि दुर्घटनाओं में अमूल्य वन संपदा आग की भेंट चढ़ रही है। इस बार तो दावानल की घटनाओं ने विभाग के साथ ही ग्रामीणों की पेशानी में भी बल डाल दिए। हर बार की तरह इस मर्तबा भी आग के पीछे मुख्य वजह चीड़ के पेड़ और इसकी पत्तियां (पिरुल) ही रहे।
ग्रामीण भी यह बात अब गंभीरता से समझाने लगे हैं कि चीड़ यहां की पारिस्थितिकी के लिए खतरा है और वे इसके वृक्षारोपण के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं। बीरोंखाल प्रखंड से यह मुहिम शुरू हुई है। अभियान की बागडोर संभालने वाले पूर्व सैनिक रमेशचंद्र बौड़ाई (नंदाखेत) बताते हैं कि चीड़ के विस्तार से जहां जल संरक्षण में सहायक पेड़ों का लोप हो रहा है, वहीं इसकी पत्तियों में अम्ल की मात्रा ज्यादा होने से भूमि की उर्वरा शक्ति प्रभावित हो रही है।
श्री बौड़ाई के अनुसार अभियान के तहत लोगों को चीड़ के खतरों से अवगत कराने के साथ ही इसका पौधरोपण न करने की सलाह दी जा रही है। ग्रामीण इसे समझा भी रहे हैं। उन्होंने बताया कि क्षेत्र पंचायत जयहरीखाल की बैठक में भी यह बात रखी गई और वहां की पंचायत ने यह प्रस्ताव पारित किया कि वह क्षेत्र में चीड़ का वृक्षारोपण नहीं होने देगी। उन्होंने बताया कि कि जल्द ही इस मुहिम के सिलसिले में वन महकमे के मुखिया से मुलाकात की जाएगी और उनसे इस बार चीड़ का किसी भी सूरत में रोपण न करने का आग्रह किया जाएगा।
''चीड़ के प्रसार को रोकने के लिए ग्रामीण यदि सचमुच ऐसी पहल कर रहे हैं तो यह निश्चित रूप से सराहनीय है। विभाग इसमें पूर्ण सहयोग करेगा। वैसे भी विभाग चीड़ के प्रसार पर अंकुश लगाकर वन क्षेत्र में मिश्रित वन विकसित करने को संकल्पबद्ध है। ग्रामीणों की यह पहल इसमें मददगार ही साबित होगी।''
-प्रेम कुमार, उप वन संरक्षक (मुख्यालय)
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment