Tuesday, 7 July 2009
कतने सुरक्षित हैं कुमाऊं के कारागार!
तीन साल में फरार हुए डेढ़ दर्जन अपराधी
ऊधमसिंह नगर से भागे सर्वाधिक १० बंदी
नैनीताल के पांच बंदी अभी भी पकड़ के बाहर
नैनीताल।
दशकों पूर्व बने कुमाऊं के कारागार कितने सुरक्षित हैं? 1या यहां सुरक्षा मानकों का पालन होता है? इसका अंदाजा आप बंदियों के भागने की सं2या से खुद ब खुद लगा सकते हैं। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले तीन वर्षों में कुमाऊं की जेलों से डेढ़ दर्जन बंदी फरार हो चुके हैं, इनमें भी सर्वाधिक ऊधमसिंह नगर से हैं। अकेले इस जिले से १० बंदी अब तक भागने में सफल रहे हैं।यहां बताते चलें कि कुमाऊं के जेलों में अकसर घटने वाली घटनाओं से सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगते रहे हैं। बावजूद इसके सुरक्षा व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। सबसे पहले हम बात करते हैं नैनीताल जेल की। यहां से २६ जून २००६ को तीन बंदी (राजेश कुमार, राजू रावत तथा मोहन पालीवाल) सुरक्षा व्यवस्था का धता बताकर फरार हो गए थे। हालांकि पुलिस ने उन्हें उसी रोज मार गिराया था। इस घटना से सबके लेने की बजाय जेल प्रशासन अब भी उसी पुराने ढर्रे पर चल रहा है। विभागीय सूत्रों की मानें तो बीते तीन वर्षों में कुमाऊं की विभिन्न जेलों से डेढ़ दर्जन बंदी फरार हुए। इनमें ऊधमसिंह नगर से १०, नैनीताल से आठ, पिथौरागढ़ से एक और चंपावत के दो बंदी थे। हालांकि पुलिस विभाग की ओर से तीन के एनकाउंटर समेत सात भगौड़ों की गिर3तारी कर ली गई, जिनका मुकदमा न्यायालय में चल रहा है। लेकिन ऊधमसिंह नगर के तीन तथा नैनीताल के पांच भगौड़े आज भी पुलिस की गिर3त से बाहर हैं। ऐसे में कुमाऊं की जेलों की सुरक्षा का सवाल हाईटेक होते दौर में साल दर साल बड़ा होता जा रहा है।
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ये हैं पुलिस की गिर3त से बाहर
ऊधमसिंह नगर की जेलों से भागे जितेन्द्र (रुद्रपुर), उमाशंकर (आगरा) और देवराम (गदरपुर)।
नैनीताल जेलों से भागे अमरीक (काशीपुर), प्रकाश (हल्द्वानी), हेमराज (लालकुंआ), मुराद अली (रोहतक हरियाणा)।
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