Saturday, 12 September 2009

सड़क के अभाव में खड़ी हुई कुंवारों की फौज

-अधूरी रह गई पुनौली के युवकों की हसरत -घोड़ी पर चढऩे की चाहत लिए प्रधान भी होने को हैं चालीस के पार चम्पावत: पुनौली गांव में कुंवारों की फौज खड़ी हो गई है। सड़क न होने से कोई भी युवती इस गांव के युवकों से विवाह के बंधन में बंधना ही नहीं चाहती। चालीस के करीब पहुंचे स्वयं ग्राम प्रधान भी घोड़ी पर चढ़कर दुल्हन लाने का ख्वाब तो पाले हैं, लेकिन उनका यह सपना पूरा होता नहीं नजर आता। चम्पावत जनपद से 78 किमी दूर पाटी विकास खंड के पुनौली गांव में घोषणाओं के बावजूद आज तक सड़क सुविधा मुहैया नहीं हो पाई है। किसी भी क्षेत्र के विकास में सड़कों की अहम भूमिका रही है, लेकिन पुनौली के ग्रामीणों की वर्षों पुरानी यह मांग आज भी अधूरी है। यह गांव एक दशक पूर्व मूलाकोट कस्बे तक बनी सड़क से दस किमी दूर है। 750 की आबादी वाले इस गांव में 307 वोटर हैं। मूलाकोट तक सड़क बनने के बाद वर्ष-2003 में सूबे के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक महेन्द्र सिंह माहरा ने 6 माह के भीतर मटियाल बैण्ड से पुनौली तक सड़क निर्माण की घोषणा की थी। लेकिन इसे आज भी अमल रूप नहीं मिला है। दो साल पूर्व चम्पावत के तत्कालीन जिलाधिकारी डा.पीएस गुसाईं ने सड़क मार्ग के लिए सर्वे कराया था, लेकिन वह रिपोर्ट भी फाइलों में ही कैद है। ग्रामीणों के पास पलायन के सिवाय कोई और रास्ता नहीं बचा है। पिछले एक दशक के दौरान आधे से अधिक परिवार यहां से पलायन कर चुके हैं। शिक्षक चतुर सिंह ने बताया कि 1984 में स्थापित जूनियर हाईस्कूल का उच्चीकरण न होने से आठवीं पास विद्यार्थियों को पांच किमी की खड़ी चढ़ाई और जंगल के रास्ते से अध्ययन को जाना पड़ता है। क्षेत्र में स्वास्थ्य केंद्र न होने से कई मरीजों को अस्पतालों तक ले जाने पर वह आधे रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। केंद्र की स्थापना के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ने भूमि दान का नक्शा भी मंगाया था, लेकिन उस पर आज तक कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। सामाजिक रूप से शोचनीय विषय यह है कि सुविधाओं से विहीन इस गांव में कोई भी व्यक्ति अपनी लड़की को ब्याहने को तैयार नहीं है। हर कोई भी मां-बाप अपनी बेटी को सुविधायुक्त घर और स्थान पर ब्याहना चाहता है जिससे वह खुशहाल रह सके। गांव के बुजुर्ग चूड़ामणि बताते हैं कि पिछले आठ साल से कुंवारों की संख्या बढ़ रही है। फिलवक्त करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा ऐसे युवक हैं जिनकी उम्र 35 वर्ष होने पर भी कुंवारे बैठे हैं। इसी कुंवारेपन का दर्द वर्तमान ग्राम प्रधान प्रकाश जोशी भी झोल रहे हैं। वह बतातें है कि उनकी उम्र अब चालीस पार करने ही वाली है और यदि कोई युवती उससे शादी करने को तैयार नहीं हुई तो शायद उन्हें जिंदगी भर कुंवारा बैठना पड़ सकता है।

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