Thursday, 17 September 2009
-खतरा:सीमा से 'घुसपैठ' की कोशिश में चीन!
उत्तराखंड शासन ने केंद्र को भेजी रिपोर्ट में किया बार्डर के हालात का खुलासा
देहरादून:
उत्तराखंड की सीमा पर कई रोज से चल रही हलचल और फिर चीनी वायुयानों के भारतीय सीमा में आने की खबरों से अब आशंका जताई जा रही है कि चीन इस ओर से भारत में घुसपैठ की कोशिश में हैैं। इस बारे में मिली तमाम अहम सूचनाओं के बाद सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है। उत्तराखंड शासन की ओर से केंद्र सरकार की इस बारे में एक रिपोर्ट भेजकर चीन सीमा पर हो रही गतिविधियों की जानकारी दी गई है।
शासन स्थित उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि चीन की ओर से भारतीय सीमा पर कई रोज से गतिविधियां बढ़ा दी गई हैैं। पहले तो याक के साथ चरवाहे देखे जाते रहे हैैं पर अब 'अन्य लोगों' की आवाजाही भी बढ़ रही है। इसके अलावा बीते कई रोज से मीडिया में इस आशय की खबरें भी चल रही हैैं कि चीनी वायुयानों ने भारतीय सीमा का अतिक्रमण किया है। सूत्रों ने बताया कि उत्तराखंड से सटे चीनी क्षेत्र में चल रही गतिविधियों से ही यही आभास हो रहा है कि चीन की ओर से भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश की जा सकती है। सूत्रों ने बताया कि खुफिया माध्यमों के साथ ही अन्य तरीकों से भी तमाम अहम सूचनाएं शासन तक आ रही है। चीन सीमा अंतरराष्ट्रीय होने के कारण मामला सीधे तौर पर केंद्र सरकार के जुड़ा है। राज्य के स्तर पर इस बारे में कोई खास निर्णय नहीं लिया जा सकता। सूत्रों ने बताया कि शासन ने अपने खुफिया व सुरक्षा तंत्र को और भी एलर्ट कर दिया है। इसके साथ ही शासन की ओर से चीन सीमा पर चल रही तमाम गतिविधियों के बारे में केंद्र सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी गई है। इससे पहले शासन के आला अफसरों और गृह विभाग के बीच इस गंभीर मसले पर गहन मंथन भी किया गया।
यहां बता दें कि उत्तराखंड में चीन सीमा तकरीबन 250 किलोमीटर लंबी है। इस सीमा पर चौकसी के लिए भारतीय-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) तैनात है। इस आटीबीपी का काम चीन सीमा पर चौकसी के साथ ही 'नो मैन्स लैैंड' के बाद भारत की और 15 किमी. तक सुरक्षा का जिम्मा है। इसके बाद उत्तराखंड पुलिस की चौकियां हैैं। सूत्रों ने बताया कि सालों से चली आ रही व्यवस्था के तहत भारतीय अधिपत्व वाले क्षेत्र में प्रशासन के अधिकारी व अन्य लोग साल में दो बार जाते हैैं। इसी तरह चीन के अधिकारी भी अपनी सीमा तक आते रहते हैैं। इस व्यवस्था का मकसद सिर्फ इतना संदेश देना भर रहता है कि दोनों देशों को अपने क्षेत्र की 'याद' है। यहां होने वाली किसी भी गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।
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