देहरादून। घायल और जेल गए राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी दिए जाने के मामले पर हाईकोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट ने अपनी टिह्रश्वपणी में इसे आम लोगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन भी माना है। साथ ही, मु य सचिव, प्रमुख सचिव (गृह),प्रमुख सचिव (कार्मिक) के माध्यम से राज्य सरकार, सभी
जिलों के डीएम और उ ाराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच अध्यक्ष को नोटिस जारी कर २७ सितंबर तक जवाब मांगा है। राज्य आंदोलनकारी करुणेश जोशी ने उ ाराखंड हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर की थी। इसमें
'उ ाराखंड राज्य आंदोलन के घायल/जेल गए आंदोलनकारियों की सेवायोजन नियमावली-२०१०Ó का हवाला देते हुए कहा था कि वह राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमि का निभा चुके हैं। उन्हें इस नियमावली के अन्तर्गत तृतीय अथवा चतुर्थ श्रेणी में नौकरी मिलना न्यायोचित होगा। हाईकोर्ट ने इसे खारिज करते हुए टिह्रश्वपणी की कि याचिकाकर्ता के
दावे का निस्तारण रिव्यू पिटीशन के
तहत करना उचित नहीं है। इसे
जनहित याचिका के रूप में चीफ
जस्टिस के समक्ष विचारार्थ रखना
ही उचित होगा। हाईकोर्ट ने माना
कि सरकारी नियमावली-२०१० के
अन्तर्गत चुनिंदा लोगों को तृतीय
और चतुर्थ श्रेणी में नौकरी दिया
जाना लोगों के संवैधानिक
अधिकारों का हनन होगा। हाईकोर्ट
ने रिट पिटीशन को खारिज करते
हुए टिह्रश्वपणी की कि आंदोलनकारियों
को एक बार में नौकरियां देने के
बजाय इसे एक निरंतर प्रक्रिया बना
लिया गया है। कई जिलों में अभी
सत्यापन का कार्य भी चल रहा
है। बाद में राज्य सरकार,
अधिकारियों और उ ाराखंड राज्य
आंदोलनकारी मंच अध्यक्ष को
नोटिस जारी किए। यूरो
राज्य आंदोलनकारियों को नौकरी यों
हाईकोर्ट ने सरकार और अफसरों को नोटिस जारी किया, रिव्यू पिटीशन खारिज
नियमावली-२०१० में चुनिंदा को
नौकरी आम लोगों के संवैधानिक
अधिकारों का हनन
आंदोलनकारियों को एक बार
में नौकरियां देने के बजाय इसे
निरंतर प्रक्रिया बनाया गया
आंदोलनकारियों के सत्यापन
का कार्य अभी चल रहा है
रिव्यू पिटीशन को पीआईएल के
रूप में चीफ जस्टिस के समक्ष
रखना ही उचित
कोर्ट की टिह्रश्वपणी
खारिज रिव्यू पिटीशन को चीफ
जस्टिस के स मुख रख दिया
गया है। वे ही निर्णय लेंगे कि
उ त विषय पर पीआईएल
के रूप में लिया जाएगा
अथवा नहीं।
-एसएन बाबुलकर, महाधिव ता
स भवत: हाईकोर्ट ने इसे
जनहित का मुद्दा मानते हुए
मु य न्यायाधीश से पीआईएल
के तहत सुने जाने की सिफारिश
की है, ताकि दोबारा रिट दायर न
करनी पड़े। -आरएस राघव
वरिष्ठ अधिव ता
मुझे अभी तक नोटिस की जानकारी नहीं है। हो सकता है ये गृह
विभाग में पहुंचा हो। जब नोटिस प्राप्त होगा, तो सरकार की ओर से
पक्ष रखा जाएगा। -सुभाष कुमार,मु य सचिव
मुझे मंगलवार को ही हाईकोर्ट की ओर से नोटिस प्राप्त हुआ है। इसमें
२७ सितंबर तक जवाब दाखिल करना है। मंच की ओर से अपना पक्ष
रखा जाएगा। -जगमोहन नेगी, अध्यक्ष, राज्य आंदोलनकारी मंच
जिलों के डीएम और उ ाराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच अध्यक्ष को नोटिस जारी कर २७ सितंबर तक जवाब मांगा है। राज्य आंदोलनकारी करुणेश जोशी ने उ ाराखंड हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर की थी। इसमें
'उ ाराखंड राज्य आंदोलन के घायल/जेल गए आंदोलनकारियों की सेवायोजन नियमावली-२०१०Ó का हवाला देते हुए कहा था कि वह राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमि का निभा चुके हैं। उन्हें इस नियमावली के अन्तर्गत तृतीय अथवा चतुर्थ श्रेणी में नौकरी मिलना न्यायोचित होगा। हाईकोर्ट ने इसे खारिज करते हुए टिह्रश्वपणी की कि याचिकाकर्ता के
दावे का निस्तारण रिव्यू पिटीशन के
तहत करना उचित नहीं है। इसे
जनहित याचिका के रूप में चीफ
जस्टिस के समक्ष विचारार्थ रखना
ही उचित होगा। हाईकोर्ट ने माना
कि सरकारी नियमावली-२०१० के
अन्तर्गत चुनिंदा लोगों को तृतीय
और चतुर्थ श्रेणी में नौकरी दिया
जाना लोगों के संवैधानिक
अधिकारों का हनन होगा। हाईकोर्ट
ने रिट पिटीशन को खारिज करते
हुए टिह्रश्वपणी की कि आंदोलनकारियों
को एक बार में नौकरियां देने के
बजाय इसे एक निरंतर प्रक्रिया बना
लिया गया है। कई जिलों में अभी
सत्यापन का कार्य भी चल रहा
है। बाद में राज्य सरकार,
अधिकारियों और उ ाराखंड राज्य
आंदोलनकारी मंच अध्यक्ष को
नोटिस जारी किए। यूरो
राज्य आंदोलनकारियों को नौकरी यों
हाईकोर्ट ने सरकार और अफसरों को नोटिस जारी किया, रिव्यू पिटीशन खारिज
नियमावली-२०१० में चुनिंदा को
नौकरी आम लोगों के संवैधानिक
अधिकारों का हनन
आंदोलनकारियों को एक बार
में नौकरियां देने के बजाय इसे
निरंतर प्रक्रिया बनाया गया
आंदोलनकारियों के सत्यापन
का कार्य अभी चल रहा है
रिव्यू पिटीशन को पीआईएल के
रूप में चीफ जस्टिस के समक्ष
रखना ही उचित
कोर्ट की टिह्रश्वपणी
खारिज रिव्यू पिटीशन को चीफ
जस्टिस के स मुख रख दिया
गया है। वे ही निर्णय लेंगे कि
उ त विषय पर पीआईएल
के रूप में लिया जाएगा
अथवा नहीं।
-एसएन बाबुलकर, महाधिव ता
स भवत: हाईकोर्ट ने इसे
जनहित का मुद्दा मानते हुए
मु य न्यायाधीश से पीआईएल
के तहत सुने जाने की सिफारिश
की है, ताकि दोबारा रिट दायर न
करनी पड़े। -आरएस राघव
वरिष्ठ अधिव ता
मुझे अभी तक नोटिस की जानकारी नहीं है। हो सकता है ये गृह
विभाग में पहुंचा हो। जब नोटिस प्राप्त होगा, तो सरकार की ओर से
पक्ष रखा जाएगा। -सुभाष कुमार,मु य सचिव
मुझे मंगलवार को ही हाईकोर्ट की ओर से नोटिस प्राप्त हुआ है। इसमें
२७ सितंबर तक जवाब दाखिल करना है। मंच की ओर से अपना पक्ष
रखा जाएगा। -जगमोहन नेगी, अध्यक्ष, राज्य आंदोलनकारी मंच
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