Friday, 16 September 2011

शिक्षकों की तबादला नीति पर रोक


मुख्यमंत्री खंडूरी ने दिया नई नीति तैयार करने का आदेश
देहरादून। शिक्षकों की हाल में घोषित तबादला नीति के अमल पर मुख्यमंत्री मेजर जनरल (अप्रा) भुवनचंद्र खंडूरी ने स्टे कर दिया है। कहा गया है कि इस पर अब अगली हिदायत तक कोई अमल नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने नई नीति तैयार करने का निर्देश दिया है। कैबिनेट की अगली बैठक में पेश होने वाली तबादले से संबंधित इस प्रस्तावित नई नीति के दायरे में अब शिक्षकों के साथ ही कर्मचारियों को भी लाया जाएगा।
हालांकि, दो अगस्त 2011 को घोषित शिक्षक तबादला नीति के आधार पर कोई तबादला (घोषित तौर पर) नहीं किया गया है। उस समय की निशंक सरकार ने मौजूदा सत्र को तबादलों के नजरिये से शून्य घोषित कर दिया था। अब नई नीति को मंजूरी मिलते ही मौजूदा शिक्षक तबादला नीति का रद्द होना तय है। 20 सितंबर को अगली कैबिनेट बैठक है। उसी में नया प्रस्ताव लाए जाने की प्रबल संभावना है।
भावी नीति की रूपरेखा वर्ष 2008 में मुख्यमंत्री रहने के दौरान खंडूरी ने ही तैयार कराई थी। प्रमुख सचिव दिलीप कोटिया ने देश भर की नीतियों का अध्ययन करने के बाद इसे लागू करने के लिए आखिरी शक्ल दे दी थी। जब तक इस पर अमल होता, खंडूरी मुख्यमंत्री की कुरसी से हटा दिए गए थे।
बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री खंडूरी ने अपने प्रमुख सचिव कोटिया को फिर से वर्ष 2008 में तैयार की गई तबादला नीति लागू करने के लिए कामकाज शुरू करने की हिदायत दी। कोटिया ने कहा कि अब जो नीति कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद लागू होगी वह शिक्षकों की तबादला नीति को सुपरसीड करेगी। उन्होंने कहा कि नई नीति में सभी के साथ बराबरी का बर्ताव होगा। सूत्रों के मुताबिक मौजूदा शिक्षक तबादला नीति में कुल तबादलों का पांच फीसदी तबादले करने का अधिकार शिक्षा मंत्री को सौंपा गया है। यह उनके विवेक पर छोड़ दिया गया है। 
देहरादून -शिक्षकों की तबादला नीति निशाने पर आने के बाद जिलों के पुनर्गठन और समुदाय विशेष के लिए विवि की स्थापना के ऐलान की भी समीक्षा मुमकिन है। हालांकि, मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी ने कहा है कि उन्हें दोनों के बारे में फिलहाल, कोई जानकारी नहीं है। निशंक सरकार ने यमुनोत्री, कोटद्वार, डीडीहाट और रानीखेत जिलों के गठन का ऐलान किया था। सूत्रों के अनुसार नौकरशाही इस फैसले के हक में नहीं थी पर सीएम ने अवाम की मांग और जरूरत बताते हुए यह फैसला लिया था। खास समुदाय से मुताल्लिक विवि को लेकर भी पुनर्विचार होना या फिर, इसे लटकाए रखने की संभावना ज्यादा है। सूत्रों के अनुसार इस विवि की स्थापना के ऐलान से आरएसएस खुश नहीं है। 
नई नीति पर काम करने की दी गई है हिदायत
कैबिनेट की अगली बैठक में पेश होगा प्रस्ताव
वर्ष 2008 में तैयार नीति पर ही अमल संभव
शिक्षकों के साथ कर्मचारी भी आएंगे दायरे में
नई तबादला नीति सभी के साथ न्याय करने वाली और पारदर्शी होगी।
भुवनचंद्र खंडूरी
मुख्यमंत्री 

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