देहरादून। 15 मिनट में लीजिए लोन। यह किसी राष्ट्रीयकृत या बड़े कारपोरेट बैंक का विज्ञापन नहीं बल्कि छोटी सी दिखाई पड़ने वाली शिक्षक ऋण एवं बचत सहकारी समिति के प्रबंध का कौशल है।शिक्षक सेवा में जुटी इस समिति का गठन 1939 में किया गया था। आज इसकी कुल कारोबारी पूंजी 36 करोड़ रुपये पार कर गई है। बेटी की शादी से लेकर मकान बनाने तक के लिए यह समिति शिक्षकों को मात्र 8 प्रतिशत ब्याज पर धन उपलब्ध करा देती है। अल्प बचत से बड़ी पूंजी जमा कर लेने के लिए वित्तीय क्षेत्र में यह समिति एक मिसाल है।
जिले में जरूरतमंद शिक्षकों की मदद के लिये कुछ शिक्षकों ने मिलकर वर्ष 1939 में जब समिति का गठन किया तब 50 शिक्षकों ने अपने वेतन से हर माह कुछ धनराशि इसमें जमा की। अब इस समिति में अब 2293 शिक्षक शामिल हैं। ये अपने वेतन से हर माह एक हजार रुपये समिति के खाते में जमा कराते हैं। इससे समिति की कारोबारी पूंजी आज 36 करोड़ 42 लाख 68 हजार हो चुकी है। सात करोड़ 42 लाख 6926 की निजी पूंजी और पांच करोड़ की बैंक में एफडी अलग से जमा है। खास बात यह है कि समिति अपने सदस्यों को बैंक से कम ब्याज दर (मात्र आठ फीसदी) पर दो से आठ लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराती है। समिति के सचिव शेखरानंद मैंदोलिया बताते हैं कि यह ऋण 15 मिनट में उपलब्ध करा दिया जाता है। पैसों की जरूरत पड़ने पर शिक्षकों को बैंकों की तरह कई चक्कर नहीं काटने पड़ते। शिक्षक से यह तक नहीं पूछा जाता कि ऋण किन कारणों से लिया जा रहा है। इसके अलावा समिति का अपना कल्याण कोष बना है। शिक्षक की मृत्यु पर परिजनों को 25 हजार की आर्थिक सहायता दी जाती है, जिसे बढ़ाकर एक लाख रुपये किये जाने पर विचार किया जा रहा है। वे बताते हैं कि समिति के माध्यम से सैकड़ों शिक्षकों की आर्थिक स्थिति सुधरी है।
समिति में वर्तमान में सुभाष चंद्र कुकरेती प्रशासनिक कमेटी के अध्यक्ष, देवेश चंद्र डोभाल, दिवाकर सजवाण, चंद्र प्रकाश पाल, भूपेंद्र सिंह शाह एवं रूकमणी भदोला सदस्य हैं।
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