निशंक सराकर पर उत्तराखंड में एक नहीं कई घोटालों का आरोप है। ऋषिकेश में चार सौ करोड़ का घोटाला सामने आने के बाद राज्य की निशंक सरकार घेरे में आ गई। सरकार ने हरिद्वार और ऋषिकेश के बीच स्टैडिया इंडस्ट्री के भू-उपयोग को बदल दिया।
इस इंडस्ट्री को भाजपा सह प्रभारी अनिल जैन की कंपनी ने पुनर्रूद्धार के नाम पर लिया था। राज्य सरकार ने न केवल इसका भू-उपयोग परिवर्तित किया, बल्कि 40 करोड़ रुपए की सरकारी फीस भी माफ कर दी थी । इससे सरकारी राजकोष को भारी नुकसान हुआ था।
निशंक पर 700 मेगावाट जल विद्युत परियोजनाओं की खुली बिक्री का भी आरोप है। प्रतिपक्ष के नेता हरक सिंह रावत का आरोप है कि सरकार के मुखिया के इशारे पर शराब व्यवसायियों को बिना गुण दोष की विवेचना किए 11 परियोजनाएं आवंटित कर दी गई हैं।
कंभ मेले में निशंक सरकार ने कई महा-घोटालों को अंजाम दिया था। सरकार पर केंद्र सरकार से मिले 565 करोड़ के मेला अनुदान राशि में गड़बड़ी का आरोप है। अनियमितता को लेकर नियंत्रक लेखा महापरीक्षक की रिपोर्ट में भी निशंक पर अंगुली उठाई गई थी।
मुख्यमंत्री निशंक की बेटी आरूषि के एनजीओ में गड़बड़ी का मामला समाने आया। एनजीओ को आवंटित जमीन में आयुर्वेद मेडिकल कालेज खोला गया।
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