Thursday, 18 June 2009

भगत सिंह कोश्यारी भी कोप भवन में

नई दिल्ली लोकसभा चुनाव में हार की हताशा और वर्चस्व की जंग से जूझ रही भाजपा को अब उत्तराखंड से करारा झटका लगा है। राज्य में कई महीनों से चल रहे असंतोष पर केंद्रीय नेतृत्व के शुतुरमुर्गी रवैये से खफा भगतसिंह कोश्यारी ने राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर पार्टी के अंदरूनी संकट को और गहरा दिया है। पार्टी नेतृत्व ने कोश्यारी के इस कदम को गंभीरता से लिया है। हालांकि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के मामले पर फैसला राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद ही होगा। भाजपा में उत्तराखंड का असंतोष फिर उबाल पर है। खंडूड़ी विरोधी माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर पार्टी नेतृत्व पर फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। कोश्यारी ने केंद्रीय नेतृत्व द्वारा निर्णय लेने में की जा रही देरी को देखते हुए नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए यह निर्णय लिया है। उन्होंने अपने निर्णय से केंद्रीय नेतृत्व को अवगत करा दिया था। हालांकि कोश्यारी को ऐसा न करने और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक तक इंतजार करने को कहा गया था। आलाकमान कार्यकारिणी में लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा के बाद ही जरूरी बदलाव करने के पक्ष में है। उत्तराखंड पर तो उसने परिवर्तन की रूपरेखा भी तैयार कर रखी है। सूत्रों के अनुसार कोश्यारी के इस कदम से पार्टी नेतृत्व ख्रुश नहीं है। वह इसे जल्दबाजी में उठाया कदम मानता है। कोश्यारी के तेवर इस बार तीखे हैं। उन्होंने राज्यसभा सदस्यता छोड़ कर साफ कर दिया है उनकी दिल्ली के बजाए उत्तराखंड को ज्यादा जरूरत है। उनके इस्तीफे के बाद भाजपा विधायकों में खलबली मच गई और उन्होंने आनन-फानन में दिल्ली कूच करना शुरू कर दिया। सूत्रों के अनुसार देर रात तक राज्य के डेढ़ दर्जन विधायक दिल्ली पहुंच गए। कोश्यारी ने कहा कि वे राज्य में जनता के बीच जाकर वहां पर लोकसभा चुनावों में हार से कमजोर हुई पार्टी को फिर से खड़ा करने में जुटेंगे। इस पूरे घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी गुरुवार को भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मुलाकात करेंगे।

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