Friday, 5 June 2009

यहां हौसले पाते हैं पहाड़ सी बुलंदी

पर्वतारोहण में उत्तराखंड स्थित नेहरू माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट का दबदबा एवरेस्ट समेत 37 चोटियों पर तिरंगा फहरा चुके हैं यहां के पर्वतारोही उत्तरकाशी: एडवेंचर की ओर रुझाान हो, कुछ कर दिखाने का जज्बा हो, ट्रैकिंग का शौक हो और एवरेस्ट को फतह करने की चाहत भी, तो रुख कीजिए उत्तराखंड में स्थित नेहरू माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट का। उत्तरकाशी स्थित यह संस्थान वह पाठशाला है, जहां कुशल प्रशिक्षकों की देखरेख में हौसलों को पहाड़ सी बुलंदी मिलती है। शायद यही वजह है कि स्थापना के 44 साल बाद भी एनआईएम का स्थान कोई दूसरा संस्थान नहीं ले सका है। जहां तक उपलब्धि का सवाल है, तो अब तक संस्थान दुष्कर समझो जाने वाले माउंट एवरेस्ट समेत कुल 37 बेहद कठिन चोटियों पर तिरंगा फहरा चुका है। एवरेस्ट पर चढऩे वाली पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल भी इसी संस्थान की विद्यार्थी रही हैैं। भागीरथी के तट पर बसी शिवनगरी उत्तरकाशी को वर्ष 1965 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अनमोल सौगात दी है। 14 नवंबर 1965 को यहां स्थापित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान अब तक 170 एडवेंचर, 208 बेसिक माउंटेनियरिंग, 132 एडवांस माउंटेनियरिंग, 21 सर्च एंड रेस्क्यू व 15 मैथड ऑफ इंस्ट्रक्शन कोर्स पूरे करा चुका है। भारत के विभिन्न हिस्सों से सैकड़ों विद्यार्थी यहां आकर पर्वतारोहण के गुर सीखते हैं। संस्थान के छात्रों में बछेंद्री पाल, सुमन कुटियाल, संतोष यादव, सतल सिंह, प्रताप बिष्ट, दिनेश रावत, कुशाल सिंह, दशरथ सिंह, विश्वेश्वर सेमवाल, विनोद गुसाईं व कविता बुड़ाकोटी ने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई छूने में कामयाबी हासिल की है। संस्थान की बदौलत ही बछेंद्री पाल पहली भारतीय महिला बनी जिसने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाईयां छूने में कामयाबी हासिल की। इसके अलावा हर्षा रावत, चंद्रप्रभा एतवाल व डा. हर्षवंती बिष्ट भी एवरेस्ट के बेस कैंप तक पहुंची, लेकिन वे चोटी फतह नहीं कर सकीं। अर्जुन पुरस्कार विजेता डा. हर्षवंती बिष्ट को तो आज भी इसका दु:ख है कि वह एवरेस्ट पर नहीं चढ़ सकीं। एनआईएम अब राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में भी शिरकत करने लगा है। संस्थान में नवंबर 2004 में रॉक क्लाइंबिंग का एशिया कप और 2007 में 13वां नेशनल वॉल क्लाइंबिंग स्पर्धा आयोजित की गई। इन स्पर्धाओं से एनआईएम ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की। पिछले दिनों एनआईएम ने माउंट एवरेस्ट को चुनौती दी और 28 मई की सुबह एनआईएम के दस सदस्यों ने एवरेस्ट पर पताका फहरा कर देश का नाम रोशन किया है। संस्थान के प्राचार्य कर्नल ईश्वर सिंह थापा कहते हैं कि एनआईएम में कोर्स के लिए बड़ी संख्या में आवेदन पत्र जमा हो रहे हैं। कर्नल थापा बताते हैं कि संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उनके विद्यार्थी विभिन्न पर्वतारोही दलों में शामिल हो जाते हैं। एनआईएम विशेष मौकों पर ही पर्वतारोहण अभियान शुरू करता है। उन्होंने बताया कि फिलहाल संस्थान की प्राथमिकता माउंट एवरेस्ट अभियान 2009 को सफल बनाने की है। इसके अलावा अभी कोई और योजना नहीं है। संस्थान में संचालित कोर्स: 1. एडवेंचर कोर्स: इस कोर्स में 14 से 18 वर्ष तक के छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। 2. बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स: यह पर्वतारोहण के क्षेत्र में पहला कदम है। इस कोर्स के बाद प्रशिक्षणाथी एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स में प्रवेश के योग्य हो जाता है। 3. एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स: इस कोर्स को पूर्ण करने वाला व्यक्ति भारतीय पर्वतारोहण दलों का सदस्य बनने में सक्षम हो जाता है। 4. सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स: यह कोर्स बेहद महत्वपूर्ण है। पर्वतारोहण के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं में यह कोर्स बहुत काम आता है। 5. मैथड आफ इंस्ट्रक्शन कोर्स: इस कोर्स की योग्यता प्राप्त कर व्यक्ति विभिन्न सरकार व गैर सरकारी संस्थाओं में प्रशिक्षक नियुक्त होने के लिए पात्र हो जाता है। एनआईएम के विद्यार्थियों ने अब तक 37 चोटियों के शिखर पर फहराया तिरंगा। चोटी का नाम ऊंचाई मी. वर्ष 1. माउंट एवरेस्ट 8,848 2009 2. अनाम चोटी 6,161 1967 3. भागीरथी द्वितीय 6,512 1968 4. अनाम चोटी 5,995 1968 5.गंगोत्री द्वितीय 6,577 1969 6.अनाम चोटी 6,114 1970 7. जोगिन प्रथम 6,465 1970 8. जोगिन तृतीय 6,116 1970 9. अनाम चोटी 6,189 1970 10. कोटेश्वर 6,035 1971 11.साइफ 6,161 1971 12. केदारनाथडोम 6,831 1972 13.अनाम चोटी 5,600 1973 14. अनाम चोटी 5,800 1973 15. शिवलिंग 6,543 1973 16. बंदरपूंछ 6,316 1975 17. गंगोत्री द्वितीय 6590 1976 18. रुद्रगैरा 5,818 1976 19. अनाम चोटी 6,181 1978 20. काली चोटी 6,387 1980 21. जोनाली 6,632 1980 22. अनाम चोटी 5,853 1981 23. द्रौपदी का डांडा 5,716 1983 24. चौखम्बा प्रथम 7,138 1995 25.चौखम्बा द्वितीय 7,068 1995 26. अनाम चोटी 6,760 1995 27. अनाम चोटी 5,312 1997 28. दूधना 5,701 1985 29. स्वर्गारोहिणी 6,252 1990 30. थैइलू 6,000 1990 31.अनाम चोटी 5,610 1991 32. सतोपंथ 7,075 1997 33. सुदर्शन 6,507 1998 34. मुक्त प्रभात पूर्व 7,130 1999 35. केदार डोम 6,832 2001 36. त्रिशूली पश्चिम 7,075 2001 37.शीश पांगमा 8,012 2005

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