Wednesday, 24 June 2009
देवभूमि में लहलहाई 'असलहों की फसल'
- छह जिलों में 15 हजार से अधिक लाइसेंसी शस्त्रधारक
-पहाड़ में असलहे बने स्टेटस सिंबल
देवभूमि के कुमाऊं अंचल में भी 'असलहों की फसल' लहलहा रही है। राज्य गठन के बाद आठ साल में ही कुमाऊं मंडल में कुल लाइसेंस धारकों की संख्या 15 हजार का आंकड़ा पार कर गयी है, जबकि हजारों शौकीन असलहा लाइसेंस के स्वीकृत होने के इंतजार में हैैं। इससे यहां की शांत वादियों में अपराधों के ग्र्राफ मेें जबरदस्त इजाफा हुआ है।
एक समय था जब पहाड़ की सुरम्य व शांत वादियों में असलहे या अपराध जैसे शब्द सुनने को भी नहीं मिलते थे, लेकिन अब यह आम बात हो गयी है। पहले कुछ लोग भले ही अपनी सुरक्षा व सतर्कता की दृष्टि से लाइसेंसी असलहे लेते थे, लेकिन पहाड़ के नव धनाढ्यों के लिए अब यह दिखावे की वजह भी बन गये हैं। कुछ जगहों पर इससे अपराध का ग्राफ भी बढ़ा है। पुलिस आंकड़ों पर नजर डालें तो कुमाऊं के छह जिलों में कुल 15957 लाइसेंसी शस्त्र धारक हैं। इनमें ऊधमसिंह नगर 8198 असलहाधारियों के साथ शीर्ष पर है। नैनीताल में इनकी संख्या 4499 है। पहाड़ के चार जिलों में पिथौरागढ़ 1020 शस्त्रधारकों के साथ सबसे आगे है। जबकि अल्मोड़ा में 807, चम्पावत में 850 व बागेश्वर में 583 लाइसेंसी असलहे हैं। इनमें अधिकांश असलहे राज्य गठन के बाद बने हैं। हालांकि कुछ को यह पारिवारिक विरासत में भी मिले हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इस क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में असलहों के शौकीन लाइसेंस लेने के लिए अभी कतार में हैं। वहीं हाल के कुछ वर्षों में हत्या जैसे अपराधों पर नजर डालें तो भयावह स्थिति सामने आती है। प्रतिवर्ष लगभग 50-60 से अधिक हत्याएं आपसी रंजिश में हो रही हैं। पिछले तीन वर्षों में मंडल में दो सौ से अधिक लोगों की हत्या हो चुकी है। इसमें अकेले 100 से अधिक हत्याओं के साथ ऊधमसिंह नगर सभी छह जिलों में अव्वल है। पर्यटन के लिए विश्व प्रसिद्ध नैनीताल में पिछले तीन सालों में हत्याओं का ग्राफ 60 से उपर पहुंच चुका है। अमूमन शांत रहने वाले पिथौरागढ़, चम्पावत, अल्मोड़ा व बागेश्वर जिलों में भी हत्याओं के तीन साला आकड़े दो दर्जन से अधिक हैं। पहाड़ में असलहों व अपराधों के साल दर साल बढ़ते जा रहे यह आंकड़े समाज के साथ पुलिस के लिए भी चिंता का कारण बनती जा रही है।
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