Wednesday, 24 June 2009

=दून में दिखी मिनी इंडिया की झालक

-नेहरू युवा केंद्र का राष्ट्रीय एकता शिविर - लोकसंस्कृतियों का आदान-प्रदान कर रहे पांच राज्यों के युवा - शिविर में सम-सामयिक विषयों पर हो रहा है गहन मंथन अनेकता में एकता का दर्शन सिर्फ भारतीय संस्कृति में ही समाहित है। सूबे की राजधानी देहरादून में भी इन दिनों पांच राज्यों के युवा ऐसी ही झालक पेश कर रहे हैं। ये युवा संस्कृतियों का ही आदान-प्रदान नहीं कर रहे, बल्कि राष्ट्रीय एकता और मजबूत कैसे हो, देश कैसे विकसित व संपन्न बने, इस पर भी गहन मंथन कर रहे हैं। राजधानी में इन दिनों न केवल उत्तराखंड, बल्कि मणिपुर, उत्तर प्रदेश, झाारखंड व मध्य प्रदेश की लोक संस्कृति के तमाम रंग बिखर रहे हैं। नेहरू युवा केंद्र संगठन की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय राष्ट्रीय एकता शिविर में मणिपुर का लयमा जगोई, लहरवबा जगोई, उत्तर प्रदेश के बृज क्षेत्र का लांगुरिया, झाारखंड का कर्मा, असारी, सरहुलजैमा, मध्य प्रदेश का मालवा, उत्तराखंड के नंदा राजजात, पांडव नृत्य जैसे पारंपरिक लोकगीत-लोकनृत्य की धूम है। शिविरार्थी पारंपरिक वेशभूषा में न सिर्फ प्रस्तुतियां दे रहे हैं, बल्कि एक-दूसरे की संस्कृति, बोली-भाषा, खान-पान, रहन-सहन को समझाने व सीखने की ललक उनमें देखते ही बनती है। ऐसे में बहुत संभव है कि आने वाले दिनों में ये दल एक-दूसरे के राज्यों की लोकसंस्कृति की झालक अपने-अपने क्षेत्रों में बिखेरेंगे। मध्य प्रदेश की टीम लीडर लता श्रीवास कहती हैं कि यह एक ऐसा मंच है, जिससे संस्कृतियों के आदान-प्रदान का मौका मिलता है। युवाओं में समझा विकसित होने के साथ ही व्यक्तित्व का विकास होता है। वह बताती हैं कि इस शिविर में न केवल संस्कृतियों का ही आदान-प्रदान हो रहा है, बल्कि युवाओं में सम-सामयिक विषयों पर समझा विकसित भी हो रही है। लता का कहना है कि भारत गांवों का देश है और ग्रामीण भारत की सही तस्वीर व वहां की समस्याओं को समझाने को ऐसे शिविर दूरस्थ गांवों में भी लगने चाहिए। मणिपुर के टीम लीडर चितरंजन, उत्तराखंड के प्रेमचंद, उप्र के केके शर्मा, झाारखंड के पार्वती व संजय, मध्य प्रदेश के अजय ने कहा कि अनेकता में एकता देश की विशेषता है। युवाओं की सकारात्मक सोच और कठिन परिश्रम की मदद से राष्ट्रीय एकता ही हमारे देश को विकसित व संपन्न राष्ट्र बना सकती है। उनका कहना है कि राष्ट्र के पुनर्निर्माण, गरीबों के उत्थान, युवाओं के अधिकार, युवाओं को स्वतंत्र पहचान के लिए उन्हें नया हिंदुस्तान चाहिए।

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