Sunday, 7 August 2011

ढोल ने दिलाई पहाड़ को नई पहचान

पौड़ी गढ़वाल: विश्वास नहीं होता कि एक अमेरिकी मूल का नागरिक पराए वाद्य यंत्र को गले डाल नृत्य के लिए विवश कर दे, लेकिन यही सच है। ओड्डा के चौक पर स्टीफन ने दैणा हूंया खोली का गणेशा..नौछमी नारैणा गीत गाने के साथ ही जैसे ही ढोल पर थाप दी, उपस्थित समुदाय ताली बजाता हुआ स्वागत करने लगा। चारों ओर से नजर उन पर टिक गई। वाह! शाबाश ! यही शब्द सुनाई दिए।


ढोल-दमाऊ अब सिर्फ औजी समाज तक ही नहीं सिमटा रहेगा बल्कि इसे अब गले में डालना गर्व समझा जाएगा। अमेरिकी मूल के स्टीफन फ्योल ने शनिवार को ओड्डा के चौक में चौंकाने का कार्य किया है। स्पर्धा में आए औजी समाज की प्रस्तुति समाप्त होने के बाद प्रणाम करते हुए स्टीफन ने ढोल कंधे में रखा और फिर पहली थाम के साथ धूंया8 बजाते हुए गुरु की वंदना की। उनके गुरु सोहन लाल स्टीफन के सुर में सुर मिलाते हुए गाने लगे तो सुकारू दास दमाऊ पर संगत करते रहे। गुरु को प्रमाण करने के बाद स्टीफन पांडव नृत्य की थाप देने लगे और फिर प्रसिद्ध लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी, निर्देशक अनिल बिष्ट, बीएस रावत, अनुसूया प्रसाद सुंदरियाल समेत अन्य ग्रामीण भी नृत्य करने लगे। स्टीफन ने यह संदेश तो दे ही दिया कि अमेरिका मूल का नागरिक जब ढोल को गले लगा सकता है तो फिर उत्तराखंड के लोगों को इसे गले से परहेज नही होना चाहिए।

No comments:

Post a Comment