Thursday, 11 August 2011
भारतीयों से जंग के गुर सीख रही अफगान सेना
तालिबान का मुकाबला करने में होगी अफगान फौज को आसानी सामरिक नीति के तहत बढ़ रहे हैं पड़ोसी देश से रिश्ते
देहरादून- तालिबान व अलकायदा जैसे खूंखार आतंकवादी संगठनों से दो-दो हाथ कर रही अफगान सेना को व्यवस्थित सैन्य ढांचे का प्रशिक्षण भारतीय सेना देने जा रही है।
दुनिया के श्रेष्ठतम सैन्य बलों में से एक भारतीय सेना उन्हें युद्धक पण्राली तो बता ही रही है साथ में सैन्य टुकड़ियों के निचले स्तर पर काम करने वाली अनुशासित परंपरा की जानकारी भी दे रही है। अफगान सेना के साथ सैन्य दीक्षा का आदान-प्रदान देश की सामरिक नीति के तहत हो रहा है। अफगान सेना की एक टुकड़ी कुमाऊं रेजिमेंल सेंटर रानीखेत में प्रशिक्षण पूरा कर चुकी है। जल्दी ही एक अन्य टुकड़ी गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंटल सेंटर लैंसडौन में आने वाली है। सैन्य सूत्रों का कहना है कि इसी सप्ताह यह टुकड़ी लैंसडौन पहुंच जाएगी। करीब डेढ़ महीने के प्रशिक्षण में अफगान सैनिकों को प्लाटून कमांडर व सेक्शन कमांडर के स्तर पर सैन्य टुकड़ियों का ढांचा, उनके डिप्लायमेंट का तरीका, युद्ध के दौरान व शांति के उनकी सामान्य दिनचर्या से अवगत कराया जाएगा। रेजिमेंटल सेंटर में दिया जाने वाला यह प्रशिक्षण अफगान सेना के लिए महत्वपूर्ण है। कई दशकों से अशांत रहे अफगानिस्तान का सैन्य बल अपने सैन्य ढांचे पर ध्यान नहीं दे पा रहा है। लगातार आपरेशनों से जूझते रहने से वहां ट्रेनिंग का सिस्टम भी उतना मजबूत नहीं बन पाया, जितनी जरूरत सेना को होती है। हाल में ही अफगानिस्तान में चल रहे सैन्य अभियानों ने वहां की सेना के लिए प्रशिक्षण की अहमियत को और बढ़ा दिया है। किन्हीं दो देशों के बीच सैन्य आदान-प्रदान सामान्य तौर पर होता रहता है, पर अफगानिस्तान के साथ बढ़ रहे सैन्य संबंध कई मायनों में अलग हैं। देश के सभी बड़े आपरेशनों में हिस्सा ले चुके गढ़वाल व कुमाऊं रेजिमेंटों के साथ तालमेल से अफगानिस्तान को अच्छे लड़ाके तैयार करने में भी मदद मिलेगी। अफगानिस्तान से हो रहा तालमेल भारत को भी चारों ओर चीन की बढ़ती घेराबंदी से कुछ हद तक राहत दे सकता है। गढ़वाल राइफल्स के कर्नल ऑफ रेजिमेंट रह चुके लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) एमसी भंडारी अफगानिस्तान के साथ बढ़ रहे सैन्य संबंधों को अच्छी कवायद बताते हैं। उनका कहना है कि इससे अफगास्तिान में सैन्य ढांचे के साथ ही रिक्रूट की ट्रेनिंग को बेहतर किया जा सकेगा। उनका कहना है कि आज भारत चारों ओर से चीन से घिरता जा रहा है। ऐसे में चीन की ‘स्टिंग ऑफ पल्र्स पालिसी से मुकाबला करने के लिए अफगानिस्तान जैसे नये दोस्त को भी मजबूत करना होगा। उत्तराखंड में चीनी सीमा के विवाद को देखते हुए यहां अफगान सेना का प्रशिक्षण काफी महत्व रखता है।
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