देहरादून। - ऋषिकेश-कर्णप्रयाग तक रेलगाड़ी से सफर करने का ख्वाब धरातल पर साकार होने की उम्मीद और मजबूत हुई है। रेल मंत्रालय ने उत्तराखंड के इस महत्वाकांक्षी रेल प्रोजेक्ट की खातिर भू विज्ञान-तकनीकि जांच और रेलवे लाइन के लिए स्थान के चयन के लिए सर्वेक्षण शुरू कर दिया है।
इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2010-11 के बजट में शामिल किया जा चुका है।
रेलवे लाइन का निर्माण भू-वैज्ञानिक रिपोर्ट और भूमि की उपलब्धता पर निर्भर करेगा। राज्यसभा में सांसद भगत सिंह कोश्यारी के सवाल के जवाब में केंद्रीय रेल राज्य मंत्री भरत सिंह सोलंकी ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के साथ ही टनकपुर-बागेश्वर रेल प्रोजेक्ट का सर्वे भी पूरा किया जा चुका है, लेकिन स्वीकृति अभी केवल ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग को ही मिली है। 4295.30 करोड़ रुपये की प्रत्याशित लागत पर इसे बजट में शामिल किया जा चुका है।
रेल राज्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग मार्ग पर निर्माण तभी शुरू हो पाएगा, जब भू-वैज्ञानिक व स्थल चयन की प्रारंभिक गतिविधियां पूरी हो जाएगी और इसका विस्तृत अनुमान की स्वीकृति मिल जाएगी।
कोश्यारी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से हिमाचल, उत्तराखंड, अरुणाच, जम्मू-कश्मीर और सिक्किम के सीमावर्ती क्षेत्रों में रेल नेटवर्क विकसित करने की जरूरत पर बल दिया। कोश्यारी ने कहा कि, जिस प्रकार चीन की गतिविधियां सीमावर्ती इलाकों में बढ़ती जा रही है, इस लिहाज से रेल नेटवर्क का विकास त्वरित गति से किया जाना ही उचित होगा।
राष्ट्रीय परियोजना घोषित हों रेल प्रोजेक्ट
सासद भगत सिंह कोश्यारी ने जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर रेल परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर निर्माण करने की जरूरत जाहिर की। रेल राज्यमंत्री की ओर से रेलवे प्रोजेक्ट की समय सीमा पर टिप्पणी न करने से असंतुष्ट कोश्यारी ने कहा कि राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर ही इन प्रोजेक्ट को बनाया जा सकता है। इस विषय की राज्य सभा की याचिका समिति में सुनवाई चल रही है।
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