Thursday, 11 August 2011
दून, अल्मोड़ा में बनेंगे गढ़वाली व कुमाऊंनी साहित्य के संग्रहालय
देहरादून- सरकार गढ़वाली व कुमाऊंनी साहित्य के संरक्षण के लिए दो संग्रहालय बनाएगी। गढ़वाली साहित्य के संरक्षण का केंद्र देहरादून व कुमाऊंनी साहित्य के लिए अल्मोड़ा में केंद्र स्थापित किया जाएगा।
इसके अलावा भाषा विकास समितियों का गठन किया जाएगा। मंगलवार को सिंचाई, समाज कल्याण व भाषा विभाग के मंत्री मातबर सिंह कंडारी की अध्यक्षता में विधानसभा में बैठक आहूत की गई। बैठक में कुमाऊंनी व गढ़वाली भाषा के विकास से जुड़े तमाम मुद्दों पर विस्तृत बातचीत हुई। विभागीय मंत्री कंडारी ने कहा कि गढ़वाली व कुमाऊंनी भाषा के विकास के लिए सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है। दोनों भाषाओं के मानकीकरण की दिशा में ठोस पहल की जाए। इन बोलियों को बोलने वालों के बीच सव्रेक्षण कर इन्हें संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के प्रयास किए जाएं। उन्होेंने कहा कि दोनों भाषाओं के साहित्य सरंक्षण के लिए संग्रहालय बनाया जाना जरूरी है। गढ़वाली भाषा का केंद्र देहरादून व कुमाऊंनी भाषा का केंद्र अल्मोड़ा स्थापित किया जाएगा। कंडारी ने निदेशक भाषा डा. सविता मोहन को निर्देश दिए कि प्रत्येक जनपद में गढ़वाली व कुमाऊंनी भाषा के विकास के लिए समितियों का गठन कर भाषा के जानकारों की एक सूची बनायी जाए। उन्होंने कहा कि साहित्य अकादमी ने इन दोनों भाषाओं को मान्यता दे दी है। इसी क्रम में राज्य स्तर पर भी प्रस्ताव बनाया जाए। जौनपुरी, जौनसारी, भोटिया, मलारी आदि भाषाओं के जानकारों को भी चर्चा में शामिल किया जाए। दोनों भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाए और प्रस्ताव बनाने के लिए विद्वानों की बैठक में आमंत्रित किया जाए। इस मौके पर निर्णय लिया गया कि कुमाऊंनी भाषा के विकास के लिए 18 अगस्त को अल्मोड़ा में भाषा मंत्री की अध्यक्षता में बैठक आहूत की गई है। भाषा विकास समितियों का गठन होगा भाषा के जानकारों की सूची बनायी जाएगी
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