Friday, 19 August 2011
सच हुआ वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का सपना
कोटद्वार आखिरकार कोटद्वार क्षेत्र की जनता पिछले कई वर्षो से देखा जा रहा सपना सच हो ही गया। पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का सपना भले
ही भरत नगर को जिला बनाने का रहा हो, लेकिन कोटद्वार को जिला घोषित कर प्रदेश सरकार ने भरतनगर के विकास की राह को आसान कर दिया है।
कोटद्वार क्षेत्र के जिला निर्माण की मांग सर्वप्रथम पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की ओर से उठी। हालांकि, स्व.गढ़वाली कोटद्वार से लगे घाड़ क्षेत्र में स्थित भरत नगर को जिला बनाने की मांग कर रहे थे। मकसद साफ था, जिला बनने के बाद न सिर्फ भरतनगर का विकास होता, बल्कि पूरे कोटद्वार क्षेत्र में विकास की नई किरण जगती। स्व.गढ़वाली के देहावसन के बाद जनता की मांग ठंडे बस्ते में पहुंच गई। अस्सी के दशक में अधिवक्ताओं व छात्रों ने एक बार फिर अलग जिले की मांग उठानी शुरू कर दी व इस मर्तबा मांग कोटद्वार को जिला बनाने की उठी। अस्सी के दशक से उठनी शुरू हुई यह मांग वर्ष 1997-98 में उस वक्त प्रबल हो गई, जब अधिवक्ताओं के साथ ही विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने तहसील परिसर में अनशन शुरू कर दिया। 68 दिनों तक चले इस अनशन कार्यक्रम का असर यह रहा कि उत्तर प्रदेश शासन ने इस अनशन की सुध लेते हुए तत्कालीन उपजिलाधिकारी कै.सुशील कुमार को कोटद्वार जिला का ब्लू प्रिंट तैयार करे के निर्देश दे दिए। शासन स्तर से जिले की घोषणा होती, इससे पूर्व ही उत्तराखंड राज्य का गठन हो गया।
राज्य गठन के बाद भी जिला निर्माण को लेकर आंदोलन जारी रहा व अधिवक्ताओं सहित विभिन्न संगठनों ने यहां तहसील परिसर में 56 दिनों का धरना दिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी से मिले आश्वासन के बाद आंदोलन समाप्त हो गया। वर्ष 2004 में छात्रों, अधिवक्ताओं सहित विभिन्न संगठनों ने अनशन शुरू कर दिया। इसके बाद भी जिला निर्माण को लेकर लगातार जुलूस-प्रदर्शन, रैलियां आयोजित होती रही। पिछले करीब छह माह से अधिवक्ता भी जिला निर्माण की मांग को लेकर प्रत्येक शनिवार न्यायिक कार्यो से विरत रह रहे थे। आखिर जनप्रयास रंग लाए व प्रदेश के मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कोटद्वार को नया जिला बनाने की घोषणा कर दी।
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