Saturday, 31 October 2009

=दून में जुटेंगे हिमालयी राज्यों के सीएम

हिमालयन नीति पर एकराय बनाने की कवायद में डा. निशंक देहरादून,मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक हिमालयन नीति समेत अन्य मसलों पर एकराय बनाने की कवायद में जुटे हैैं। उनकी कोशिश है कि सभी हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ ही इस मुहिम को आगे बढ़ाया जाए। इसके लिए मुख्यमंत्रियों को देहरादून में एकत्र करने की दिशा में काम चल रहा है। मुख्यमंत्री डा. निशंक ने दिल्ली में प्रधानमंत्री समेत अन्य मंत्रियों के सामने हिमालयन नीति की पुरजोर वकालत की है। कहा जा रहा है कि हिमालयी राज्य देश ही नहीं पूरे विश्व के लिए जल एवं पर्यावरण संरक्षण का काम कर रहे हैैं। इन राज्यों में रहने वाले लोग जल, जंगल और जमीन के साथ ही अन्य संपदाओं को उपयोग न के बराबर करते हैैं। जंगलों की वजह से यहां तमाम जरूरी विकास कार्य अधर में हैैं। परियोजनाओं की लागत अन्य मैदानी राज्यों की तुलना में खासी ज्यादा रहती है। इसके बाद भी इन राज्यों के लिए आर्थिक मदद के मानक अन्य राज्यों के समान हैैं। इससे इन हिमालयी राज्यों का विकास तेजी से नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री डा. निशंक ने केंद्र सरकार से मांग की है कि इन हिमालयी राज्यों को केंद्रीय मदद के मानक अन्य राज्यों के समान सूबे की जनसंख्या या फिर राज्य में सांसदों की संख्या से न तय किए जाए। इन राज्यों के लिए एक अलग हिमालयन नीति तैयार की जाए। इसमें देखा जाए कि किस राज्य का देश के लिए क्या योगदान है। इसी मानक के आधार पर इन हिमालयी राज्यों की मदद की जाए। सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री डा. निशंक इस मामले में सभी हिमालयी राज्यों को एकजुट करने की कोशिश में हैैं। पिछले दिनों शिमला में एक बैठक में शामिल होने गए डा. निशंक ने इस मुद्दे पर हिमाचल के मुख्यमंत्री से गुफ्तगू भी की है। अब कोशिश जा रही है कि हिमालयी राज्यों मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश के साथ ही जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्रियों का एक सम्मेलन देहरादून में आयोजित किया जाए। इसमें मंथन के बाद हिमालयन नीति का एक मसौदा तैयार करके केंद्र सरकार को दिया जाए। सूत्रों का कहना है कि अगर सभी राज्य एकजुट होकर हिमालयन नीति की बात करेंगे तो केंद्र सरकार भी इसकी अहमियत आसानी से समझा सकेगी। सरकार के स्तर से हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से संपर्क तेज कर दिया गया है।

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