Wednesday, 7 October 2009

-त्रेतायुग से प्रज्ज्वलित है यहां अग्नि

-त्रियुगीनारायण में इसी अग्नि को साक्षी मान किया था शिव व पार्वती ने विवाह -भगवान विष्णु ने यहां लिया था वामन रूप में अवतार -वर्षभर यहां विवाह करने वालों का लगा रहता है जमावड़ा रुद्रप्रयाग हिमालय को भगवान शंकर का वास माना गया है। यही कारण है कि यहां के कण-कण में श्रद्धालु भगवान शंकर का रूप देखते है और उनकी पूजा करते हैं। हिमालय क्षेत्र में शंकर के मंदिरों की गिनती करना कठिन कार्य है। यहां भगवान शंकर से जुड़ी अनेकों कथाएं आज भी प्रचलित हंै। मान्यता है कि भगवान शंकर ने हिमालय के मंदाकिनी क्षेत्र के त्रियुगीनारायण में पार्वती से विवाह किया था। खास बात यह है कि मंदिर में जल रही अखंड अग्निज्योत को भगवान शिव व पार्वती के विवाह वेदी की अग्नि ही माना जाता है। बताया जाता है कि यह अग्नि त्रेतायुग से जल रही है। यही वजह है कि हर वर्ष यहां सैकड़ों जोड़े विवाह बंधन में बंधते हैं। त्रेतायुग में संपन्न हुए शिव व पार्वती के विवाह का स्थल जिले का सीमांत गांव त्रियुगीनारायण मंदिर आज भी श्रद्धा व भक्ति के अटूट आस्था का केंद्र है। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोनप्र्रयाग से 12 किमी मोटरमार्ग का सफर तय कर यहां पहुंचा जाता है। मंदिर क्षेत्र के चप्पे-चप्पे पर शिव और पार्वती की शादी के साक्ष्य स्पष्ट नजर आते है। यहां पर आज भी अग्नि कुंड के साथ अखण्ड ज्योति, धर्म शिला मौजूद है। शादी के दौरान देवताओं ने विभिन्न शक्तियों से वेदी में विवाह अग्नि पैदा की थी, जिसे धंनजय नाम दिया गया। यह अग्नि आज भी निरंतर जल रही है। इस अग्नि की राख को आज भी लोग अपने घरों में ले जाते हैं, जिसे शुभ माना जाता है। वेद पुराणों के उल्लेख के अनुसार यह मंदिर त्रेतायुग से स्थापित है, जबकि केदारनाथ व बदरीनाथ द्वापरयुग में स्थापित हुए। यह भी मान्यता है कि इस स्थान पर विष्णु भगवान ने वामन देवता का अवतार लिया था। पौराणिक उल्लेख के अनुसार बलि को इन्द्रासन पाने के लिए सौ यज्ञ करने थे, इनमें 99 यज्ञ वह पूरे कर चुका था, लेकिन सौवें यज्ञ से पूर्व विष्णु भगवान ने वामन अवतार लेकर उसे रोक दिया और बलि का यज्ञ संकल्प भंग हो गया। इस दिन से यहां भगवान विष्णु की वामन के रूप में पूजा होती है। मंदिर के प्रबंधक परशुराम गैरोला बताते हैं कि आज भी इस मंदिर के प्रति लोगों में भारी श्रद्धा है। वर्ष भर बड़ी संख्या में भक्त आकर मंदिर के दर्शन करते हैं। भगवान शिव व पार्वती का विवाह स्थल होने के कारण त्रियुगीनारायण का विवाह कामना रखने वाले युगलों के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। हर साल यहां सैकड़ों की संख्या में जोड़े विवाह करते हैं। ऐसा ही एक जोड़ा है ललित मोहन रयाल व रुचि का। ये दोनों पीसीएस अधिकारी हैं। ललित मोहन रयाल वर्तमान में अल्मोड़ा जिले में एसडीएम के पद पर तैनात हैं। श्री रयाल बताते हैं कि वह इस स्थान से इतना प्रभावित हुए कि वैवाहिक जीवन यहीं से शुरू करने का फैसला किया।

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